भारतीय दिग्गज खिलाड़ी और मास्टर ब्लास्टर के नाम से प्रसिद्ध भारतीय खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने कल अपने लाइफ की एक बहुत बड़ा खुलासा सबके सामने किया, सचिन की यह बात सुनकर आपके नजरो में इस दिग्गज का कद और बड़ा हो जायेगा.

सचिन ने नवम्बर 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वानखेड़े में अपना अंतिम और 200 वाँ टेस्ट मैच खेला था, जिसके बाद वो दोबारा कभी मैदान पर बल्लेबाजी करते नहीं दिखे, यह बात सचिन को अच्छे से पता थी, कि यह उनके करियर का अंतिम मैच है, लेकिन फिर भी जब वो आउट होकर पवेलियन पहुंचे, तो इसे लेकर उन्होंने अपने बड़े भाई अजित से इस पर चर्चा किया, और बताया, कि कैसे वो इस पारी में और बेहतर कर सकते थे.

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तेंदुलकर ने कहा, ‘‘अपने कैरियर के अंतिम दिन भी जब मैं वानखेड़े स्टेडियम में आउट हुआ तब भी हमने आउट होने के बारे में चर्चा की और यह भी कि मैं क्या कर सकता था. ’’

तेंदुलकर ने एक बार फिर अपने करियर का श्रेय अपने बड़े भाई को देते हुए कहा:

“इसमें कोई शक नहीं कि अपने भाई अजीत की वजह से ही मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था. मैं पहले अपने भाई की तरह बनना चाहता था. फिर मैंने क्रिकेट मैच देखना शुरू किया, तब भारत ने विश्व कप जीता और मैं ट्राफी अपने हाथ में लेना चाहता था. मैंने वहीं से अपने इस सपने का पीछा करना शुरू कर दिया. ’’

कल अवीवा लाइफ इंश्योरेंस के अभियान ‘अवीवा अर्ली स्टारटर्स’ के समापन पर इस अभियान का हिस्सा बनने पहुंचे तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मेरा भाई ही मुझे कोच रमाकांत अचरेकर के पास ले गया था और स्कूली दिनों में अचरेकर सर हमेशा मेरे साथ थे. लेकिन स्कूल छोड़ने के बाद मैंने तुरंत भारत के लिये खेलना शुरू कर दिया, तब मैं शिवाजी पार्क से दूर चला गया. मैंने मुंबई रणजी टीम और भारतीय टीम के साथ यात्रा करना शुरू कर दिया. इसलिये बाद में ज्यादातर चर्चा मेरे भाई के साथ होनी शुरू हो गयी. ’’

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तेंदुलकर ने कहा वो हमेशा अपने भाई की राय पर अमल करते थे, भले ही वो उनकी राय से सहमत नहीं होते थे, लेकिन फिर भी सचिन उनकी बात जरुर मानते थे, सचिन ने कहा:

“मेरा भाई क्रिकेट खेल चुका था और जानता था कि क्या जरूरी है और उनसे मैं अपनी बल्लेबाजी तकनीक और खेल के मानसिक पहलू पर बात कर सकता था. ’’

 

तेंदुलकर ने कहा, ‘‘मैं आलोचना के लिये भी तैयार था. ऐसे भी मौके आये जब हमारी राय अलग अलग होती थी, लेकिन मैं जानता था कि अंत में वह जो कह रहा था, वो मेरे अच्छे के लिये था और मैंने हमेशा उसकी राय पर भरोसा किया. तेंदुलकर ने कहा कि उनके संन्यास लेने के अगले दिन सुबह उन्होंने एक कप चाय बनायी.”

2011 विश्वकप विजेता टीम के हिस्सा रहे इस 42 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा:

‘‘जब मैंने संन्यास लिया, उसके अगले दिन सुबह मैंने एक कप चाय बनायी. मुझसे सवाल पूछा गया, ‘आपने सबसे पहले क्या किया’ तो मैं उठा, अपनी बालकनी में बैठा. यह आरामदायक था. मैंने ये चीजें करना जारी रखीं. ’’

 

Krishna

मै कृष्णा सिंह sportzwiki में एडिटर के तौर पर कार्यरत हूँ, स्पोर्ट्स से शुरू से ही मेरा...