2019 क्रिकेट का महायुद्ध इंग्लैंड और वेल्स मे शुरू हो गया है. इस बार इस विश्व कप मे कई कई मुद्दे आए जिस पर राजनीतिक दलों को अपनी रोटी सकने का मौका मिल गया. फिर चाहे वो धोनी के ग्लव्स हो या फिर पाकिस्तान पर भारत की जीत हो. ऐसे मे अब भारत के राजनीतिक दलों ने भारतीय टीम की जर्सी के रंग को लेकर एक नया मुद्दा खड़ा कर दिया है अब देखना यह होगा की वो इस मुद्दे को कितना भुना पाएंगे.
भारतीय टीम दिखेगी नई जर्सी मे
आईसीसी के नियम के अनुसार कोई भी दो टीम एक रंग की जर्सी पहनकर मैदान पर खेलने नहीं उतर सकती. आईसीसी ने यह नियम फुटबॉल से प्रेरणा लेकर पारित किया है.
30 जून को भारतीय टीम मेजबान इंग्लैंड के विरुद्ध खेलने उतरेगी. इस बार इंग्लैंड की जर्सी का रंग भी भारत की तरह है जिसके वजह से भारत को अपनी जर्सी का रंग बदलना पड़ेगा. इंग्लैंड को मेजबानी का फायदा मिला है जिसकी वजह से उसके रंग मे कोई बदलाव नहीं किया गया.
भारत की जर्सी को लेकर होने लगी राजनीतिक उठा पटक
अभी तक भारत की जर्सी के रंग को लेकर ऐसे कयास लगाए जा रहे है की उसका रंग भगवा यानी की औरेंन्ज होगा, यह बात समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी को रास नही आ रही, उनका कहना है की बीसीसीआई ने नरेंद्र मोदी को खुश करने के लिए इस रंग को चुना है.
आईसीसी ने साफ कर दिया कि दूसरी जर्सी के लिए कलर कॉम्बिनेशन उसकी ओर से दिया गया था. हालांकि विवाद अभी थमता नहीं दिख रहा है.
इस कारण से भारतीय टीम को मिला नीला रंग
भारत के झंडे मे भगवा, सफ़ेद, और हरा रंग है साथ ही अशोक चक्र मे नीला रंग है. भारत मे क्रिकेट को राजनीती से दूर रखने के लिए भगवा रंग ड्रेस को नहीं मिला. हरा रंग पाकिस्तान ने पहले ही चुन लिया था, ऐसे मे सफ़ेद रंग रंगीन जर्सियों से तालमेल नहीं रखता, ऐसे मे बचा नीला रंग इसी कारण से भारतीय टीम को नीला रंग मिला.
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा की टीम की जर्सी मे बदलाव किया गया हो इससे पहले भी 1985 में भारत ने जो वर्ल्ड चैंपियनशिप खेली थी उसमें भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी हल्के नीले रंग के साथ ही पीला रंग भी शामिल था.