नाइंसाफी: शास्त्री और कुंबले नहीं बल्कि जिस दिग्गज ने भारत को नम्बर 1 बनाने में लगा दी जी जान, उसकी कभी जिक्र तक नहीं करते है भारतीय कप्तान! 1

रवि शास्त्री भारतीय क्रिकेट टीम के जब से कोच बनें हैं तब से बराबर चर्चा में बने रहे हैं . उनके साथ भारतीय टीम के बॉलिंग कोच भारत अरुण की भी खूब बात हुई. लेकिन ऐसा पूर्व खिलाड़ी है जो भारतीय टीम से 2014 से जुड़ा हुआ है और अपने काम को ईमानदारी और लगन के साथ कर रहा है. और पिछले दिनों उसके काम से प्रभावित होकर बीसीसीआई ने उसे भारत का सहायक कोच नियुक्त किया, लेकिन उसकी न ही बिलकुल चर्चा हुई न ही मीडिया ने ज्यादा तवज्जो दी. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं बैटिंग कोच से सहायक कोच तक पहुँचे भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी संजय बांगड़ की.

शिष्य की कामयाबी से गुरु गदगद-

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नाइंसाफी: शास्त्री और कुंबले नहीं बल्कि जिस दिग्गज ने भारत को नम्बर 1 बनाने में लगा दी जी जान, उसकी कभी जिक्र तक नहीं करते है भारतीय कप्तान! 2
Photo Credit : Google

कहते हैं कि जब बेटा नाम कमाता है तो माँ- बाप से अधिक प्रसन्न कोई और नही होता. और यदि शिष्य नाम कमाता है तो गुरु से ज्यादा प्रसन्न कोई और नही होता. यही हाल है संजय बांगड़ के बचपन के कोच किरण जोशी का. 

औरंगाबाद के किरण जोशी ने कहा कि “संजय को यह पद उसकी ईमानदारी और मेहनत के चलते मिला है. वह अपने काम को महत्त्व देने वाला व्यक्ति है. वह लगातार मेहनत करता है.”

जोशी ने संजय बांगड़ के बचपन को याद करते हुए बताया मराठवाड़ा में एक 13 वर्षीय बच्चे के रूप में, बांगर, जोशी के औरंगाबाद स्थित पायनियर क्रिकेट क्लब में शामिल हुए और उन्होंने  वहां क्रिकेट की बारीकियां सीखी, लेकिन यह आसान नहीं आया था जब औरंगाबाद जिले अंडर 15 टीम में शामिल नहीं हो पाए. तो बांगड़ ने अपने खेल की कमियों को दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

हालाँकि महाराष्ट्र के अंडर -19 चयनकर्ताओं के पास उसे चुनने के लिए कोई विकल्प नहीं था. तब जोशी ने बांगर के पिता को सलाह दी कि बांगड़ को मुंबई में स्थानांतरित कर दें, जहां उसे बहुत कुछ सीखने के साथ आगे बढने का मौका मिलेगा. खैर वो मुंबई रणजी टीम में नही खेल पाए. फिर उन्हें रेलवे की ओर से खेलने का मौका मिला. सचिन सहवाग और विराट खेलेंगे पाकिस्तानी खिलाड़ी की कप्तानी में.. अपनी टीम के खिलाड़ियों को नही मानते इस टीम के लायक

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द्रविड़ के साथ यादगार पार्टनरशिप-

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रेलवे में उनके बेहतरीन खेल को देखते हुए उन्हें 2001-02 में इंटरनेशनल क्रिकेट में मौका मिला. संजय बांगड़ ने इंग्लैंड के खिलाफ 2002 में 68 रन की मुश्किल परिस्थितियों में राहुल द्रविड़ के साथ 170 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी कर के टीम को संकट से उबारा. भारत की यह जीत बहुत चर्चा में रही थी. विराट कोहली की आक्रामकता पड़ रही है भारतीय टीम पर भारी, जल्दबाजी में लिए गये फैसले से मुसीबत में फँस रही है टीम

 

prashant

PROUD INDIAN,..CRICKET LOVER...