मेहनत सफलता की कुंजी है, ये बात तो हम सब जानते हैं लेकिन किस्मत के बिना इस कुंजी से आप उज्जवल भविष्य का दरवाजा नहीं खोल सकते। क्रिकेट की दुनिया में आपने कई ऐसे खिलाड़ियों की कहानियां सुनीं होंगी, जिन्होंने फर्श से अर्श का सफर तय किया है। आज हम भी आपको भारतीय क्रिकेट टीम के एक ऐसे स्टार खिलाड़ी के बारे में बताने जा रहे हैें जो एक समय कब्रिस्तान में गेंदबाजी करता था लेकिन सौरव गांगुली ने उसकी जिंदगी ही बदल दी।
कब्रिस्तान में करते थे प्रैक्टिस
भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होता। कड़ी मेहनत और कहीं ना कहीं किस्मत का साथ भी चाहिए होता है। आज जिस गेंदबाज की हम कहानी आपको बता रहे हैं वो और कोई नहीं बल्कि टीम इंडिया के स्टार तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी हैं। शमी का जन्म उत्तर-प्रदेश के अमरोहा सहसपुर अलीनगर गांव में एक किसान के घर में हुआ था.
बचपन से ही शमी गेंदबाजी का शौक रखते थे। गांव में रहने वाले शमी कभी घर के आंगन में गेंदबाजी करते तो कभी घर के पीछे बने कब्रिस्तान में अपनी रफ्तार भरी गेंद फेंकते नजर आते। कहना गलत नहीं होगा कि कब्रिस्तान में गेंदबाजी करते हुए शमी ने बचपन गुजार दिया।
कैसे पहुंचे कोलकाता
बचपन में टेनिस बॉल से बल्लेबाजों के होश उड़ाने वाले मोहम्मद शमी जब बड़े हुए और लेदर बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू किया तो उन्हें कोच बदर अहमद का साथ मिला। उन्होंने शमी की गेंदबाजी को निखारा, लेकिन शमी का हथियार तो उनकी तेजी थी। वो 140 किमी. प्रति घंटा से गेंदबाजी करते थे।
अपने एरिया में होने वाले टूर्नामेंट्स में तो शमी हीरो थे, मजाल था कि कोई बल्लेबाज उनके सामने ज्यादा देर टिक जाए। शमी ने यूपी के लिए ट्रायल दिए, लेकिन उनका चयन नहीं हुआ. यूपी में मौके कम थे तो कोच बदर ने उन्हें कोलकाता में क्लब क्रिकेट खेलने की सलाह दी। शमी ने सलाह मानते हुए कोलकाता में ही प्रैक्टिस शुरू कर दी।
सौरव गांगुली ने बदल दी शमी की जिंदगी
कोलकाता में ट्रेनिंग लेने से मानो उनकी किस्मत के दरवाजे खुल गए। एक दिन किंग ऑफ कोलकाता ईडन गार्डेन्स में प्रैक्टिस के लिए और शमी को उनके खिलाफ गेंदबाजी करने का मौका मिला। शमी इस मौके को किसी भी कीमत पर भुनाना चाहते थे। तब उन्होंने गांगुली के सामने ऐसी गेंदबाजी की, गांगुली को बल्लेबाजी में काफी मुश्किल हुई। वहीं से शमी के अच्छे दिन शुरु हो गए।
हुनर की पहचान रखने वाले सौरव गांगुली ने बंगाल क्रिकेट टीम के मैनेजर को शमी पर ध्यान देने के लिए कहा। बस फिर क्या था मोहम्मद शमी ने बंगाल क्रिकेट टीम में जगह बनाई और उसके बाद 2013 में शमी भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बन गए। आज वह वक्त है जब शमी विश्व क्रिकेट में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं।