शोएब अख्तर ने धोनी के सामने जानबूझकर डाली थी बीमर गेंद, अब खुद किया खुलासा 1

साल 2006 में भारतीय क्रिकेट टीम पाकिस्तान के दौरा पर थी। भारत ने वहां पर पाकिस्तान के खिलाफ वनडे सीरीज के साथ ही एक तीन मैचों की टेस्ट सीरीज खेली थी। भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफलतम कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उस दौरे पर एक युवा बतौर विकेटकीपर के रूप में टीम में शामिल थे जिनसे इतनी ज्यादा उम्मीदें किसी ने नहीं की थी।

धोनी ने साल 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ खेली थी 148 की पारी

महेंद्र सिंह धोनी के टेस्ट करियर की शुरुआत का दौर था और उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में खेले गए टेस्ट मैच में 148 रनों की बहुत ही शानदार पारी खेल हर किसी को अपना मुरिद बना दिया।

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शोएब अख्तर ने धोनी के सामने जानबूझकर डाली थी बीमर गेंद, अब खुद किया खुलासा 2

भारतीय टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज महेन्द्र सिंह धोनी ने अपनी 148 रन की आकर्षक पारी में 19 चौके के साथ ही 4 छक्के जड़े थे। उन्होंने पाकिस्तान के प्रमुख गेंदबाजों की भी जमकर धुनाई की थी। जिसमें उन्होंने शोएब अख्तर को भी निशाने पर लिया था।

धोनी की बल्लेबाजी से परेशान शोएब अख्तर ने फेंकी थी बीमर

एमएस धोनी ने शोएब अख्तर के एक ओवर में लगातार तीन गेंद में तीन चौके जड़े थे। जिसके बाद शोएब अख्तर ने धोनी को खतरनाक बीमर फेंका जो विकेटकीपर को भी छकाने के साथ ही वाइड पांच रन देकर गया। इस बीमर को लेकर 14 साल के बाद खुद शोएब अख्तर ने बड़ा खुलासा किया है।

शोएब अख्तर ने धोनी के सामने जानबूझकर डाली थी बीमर गेंद, अब खुद किया खुलासा 3

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शोएब अख्तर ने आकाश चोपड़ा के साथ यू-ट्यूब चैनल पर की गई बातचीत में धोनी को फेंकी गई इस खतरनाक बीमर को लेकर कहा कि

” मुझे लगता है कि मैंने फैसलाबाद में 8-9 ओवर गेंदबाजी की थी। ये एक बहुत ही तेज स्पेल था और धोनी ने शतक जड़ा था। मैंने जानबूझकर धोनी को एक बीमर फेंका था और फिर उनसे माफी भी मांगी थी।”

मैंने जानबूझकर फेंकी थी बीमर गेंद

शोएब अख्तर ने आगे कहा कि

” ये मेरे जीवन की पहली बार जानबूझकर फेंकी गई बीमर गेंदबाजी थी। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे इसका बहुत पछतावा हुआ। वो इतना अच्छा खेल रहे थे और विकेट बहुत धीमा था। हालांकि मैं जिस तेजी से गेंदबाजी कर रहा था वो बहुत हिट कर रही थी। मुझे लगता है कि मैं निराश हो गया था।”

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इसके बाद उन्होंने साल 1997 में अपने घुटनों की चोट को लेकर कहा कि

“हिरण की तरह छलांग लगाना 2-3 साल में खत्म हो जाता। मेरे घुटनों ने मुझे पूरी तरह से घुटनों पर ला दिया था। मेरे घुटने 1997 में बेकार हो गए थे। फिर में नियमित रूप से इंजेक्शन लेने लगा। और खेलता रहा। मुझे याद है कि जब भारत पाकिस्तान के दौरे पर आया था तो मैं पूरी तरह से लंगड़ा रहा था। “