बीते काफ़ी लंबे समय से भारतीय टीम में रोहित शर्मा (Rohit Sharma) और विराट कोहली की कप्तानी को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा जारी है. कई बार क्रिकेट एक्सपर्ट्स और क्रिकेट फ़ैंस अलग-अलग फ़ॉर्मेट्स में कप्तानी की जिम्मेदारी बाँटने की बात कही जाती रही है. खैर इस मसले को लेकर अलग-अलग एक्सपर्ट्स की काफ़ी अलग-अलग राय सामने आती रही है.
अब एक बार फिर से बीते कुछ दिनों में इस बहस ने जोर पकड़ लिया है. क्रिकेट से जुड़े तमाम लोग इस चर्चा में फिर आ गए हैं कि सीमित ओवर क्रिकेट में रोहित शर्मा (Rohit Sharma) को भारतीय टीम की कप्तानी सौंप देनी चाहिए. वहीं ये माँग भी सामने आ रही है कि विराट कोहली को टेस्ट में कप्तान के तौर पर बरकरार रखना चाहिए. इसी सिलसिले में इस आर्टिकल में हम स्प्लिट कैप्टेंसी के इस मसले से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जानने की कोशिश करेंगे.
स्प्लिट कैप्टेंसी का टीम पर क्या होगा असर?
लेकिन कुछ बेहद अहम प्वॉइंट्स और हैं जिनकी ओर मैं आप सबका ध्यान चाहूंगा वो ये कि क्या इसके कुछ फ़र्क़ दोनों फ़ॉर्मेट्स में टीम के प्रदर्शन पर पड़ेगा? क्या इस तरक़ीब को अमल में लाने से कुछ फ़ायदे होंगे या फिर कुछ नुकसान होंगे? तो इसको कुछ इस तरह देखते हैं कि मौजूदा समय में भारतीय टीम के पास तीनों फ़ॉर्मेट में एक ही कप्तान है.
पूर्व सीनियर भारतीय कप्तान और दिग्गज विकेटकीपर-बल्लेबाज़ महेंद्र सिंह धोनी के क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम ने आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2017 और आईसीसी विश्व कप 2019 जैसे बड़े आईसीसी टूर्नामेंट्स खेले हैं. इन दोनों ही टूर्नामेंट्स में भारतीय टीम को फ़ाइनल और सेमीफ़ाइनल में हार की वजह से खिताब गंवाना पड़ा था.
क्या हो सकते हैं स्प्लिट कैप्टेंसी के फ़ायदे?
अब बात करते हैं स्पिट कैप्टेंसी यानी अलग फ़ॉर्मेट में अलग कप्तान बनाने के फ़ायदों की तो वो फ़ायदे कुछ इस तरह हो सकते हैं कि तीनों फ़ॉर्मेट के मौजूदा कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) के ऊपर से काफ़ी हद तक नेतृत्व का भार कम होगा. क्योंकि अगर नागपुर के 33 वर्षीय सीनियर बल्लेबाज़ और उप-कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) को टीम का कप्तान बनाया जाता है तो वो विराट कोहली अपनी बल्लेबाज़ी पर ज़्यादा बेहतर तरीके से फ़ोकस कर पाएंगे.
इसके अलावा आईपीएल में रोहित शर्मा (Rohit Sharma) के पास मुंबई इंडियंस की कप्तानी का अच्छा खासा अनुभव है. इसलिए 5 बार के आईपीएल चैंपियन कप्तान की कप्तानी में सीनियर भारतीय टीम काफ़ी हद तक लीडरशिप चेंजेज़ और स्ट्रैटेजिकल चेंजेज़ का फ़ायदा मैदान पर उठा सकती है. वहीं आपको ये भी ध्यान मैं दिलाना चाहता हूँ कि रोहित (Rohit Sharma) बीते वक़्त में भारतीय टीम के लिए निदाहस ट्रॉफ़ी और एशिया कप जैसे 2 महत्वपूर्ण टूर्नामेंट्स में कप्तानी कर चुके हैं और दोनों ही बार टीम ने खिताब अपने नाम किया था.
फ़ायदे होंगे तो ज़ाहिर है तरक़ीब कुछ नुकसान भी लेकर आएगी
खैर फ़ायदों की बात तो हमने कर ली अब सवाल एक ये भी उठता है कि अगर इस तरक़ीब को अमल में लाने से कुछ नुकसान होंगे तो वो क्या होंगे? तो उन नुकसानों को कुछ इस चश्मे से देखा जा सकता है कि विराट कोहली मौजूदा समय में तीनों फ़ॉर्मेट में टीम के कप्तान हैं इसलिए उन्हें अपनी रणनीति एक्ज़ैक्यूट करने में ज़्यादा दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता. लेकिन अगर टीम मैनेजमेंट फ़ॉर्मेट के इस हिसाब से कप्तान बदलता है तो रोहित (Rohit Sharma) और कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ियों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने का भी खतरा है.
इसके अलावा ये तो भारतीय क्रिकेट सर्किल में सभी जानते हैं कि रोहित शर्मा (Rohit Sharma) सीमित ओवर क्रिकेट में कितने शानदार बल्लेबाज़ हैं. लेकिन उनके ऊपर अचानक से कप्तानी का भार डाला जाता है तो कहीं न कहीं इसक नकारात्मक असर रोहित (Rohit Sharma) बल्लेबाज़ी पर भी देखने को मिल सकता है. इसके अलावा अलग फ़ॉर्मेट में अलग कप्तान होने का मानसिक रूप से टीम के ड्रेसिंग रूम में भी दिखाई दे सकता है जैसा कि हम ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड जैसी टीमों के साथ कुछ साल पहले देख चुके हैं.