बचपन में जूते तक खरीदने के नहीं थे पैसे, बहन के सेविंग से सीखा क्रिकेट और आज बन बैठा पुरे देश का हीरो 1

कहते हैं जब कोई इंसान किसी चीज को पूरी शिद्दत से चाहता है तो पूरी कायनात उसको पूरा करने में मदद करती है। यह कोई मूवी का डाॅयलाग नहीं, बल्कि इसे हकीकत भारतीय दिग्गज खिलाड़ी भुवनेश्वर कुमार ने कर दिखाया। बचपन में विपरीत परिस्थितियों और तमाम दिक्कतों के बावजूद खेल के प्रति समर्पित भाव ने भुवी को आज विश्व के चुनिन्दा क्रिकेटरों की श्रेणी में आगे खड़ा कर दिया।

टीम इण्डिया की जीत में निभायी अहम भूमिका-

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श्रीलंका के खिलाफ खेले गए एकदिवसीय सीरीज के दूसरे वनडे मैच के दौरान भुवनेश्वर कुमार ने टीम इण्डिया के लिए संकट मोचक साबित होते हुए हार के मुंह से बाहर निकाला और टीम इण्डिया की जीत में अहम भूमिका निभायी। माही के साथ 8 वें विकेट के लिए शतकीय साझे्दारी करने वाले भुवी ने श्रीलंका के खिलाफ 80 गेंदों पर 53 रनों की अहम पारी खेली और भारतीय क्रिकेट टीम को लगातार वनडे सीरीज के दूसरे मैच में जीत दिला दी।

बचपन में किया था काफी संघर्ष-

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उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में रहने वाले भुवनेश्वर कुमार को बचपन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। पिता किरणपाल सिंह के पुलिस में होने के बावजूद उन्हें अपने घर से क्रिकेट खेलने के लिए पर्याप्त सर्पोट नहीं मिलता है। घर वाले उन्हेें आर्मी की वर्दी में देखना चाहते थे।हालांकि क्रिकेट के प्रति सच्ची लगन और जुनून को देखकर भुवी की बहन ने उनका ऐडमिशन क्रिकेट अकाडमी में करा दिया।

बहन ने किया मदद-

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घर से क्रिकेट अकाडमी दूर होने के कारण भुवनेश्वर की बहन रेखा उन्हें लेकर जाती थी, साथ ही टीचर्स से भुवी के पढ़ायी पर ज्यादा दबाव नहीं डालने को कहती थी। उनकी यह मेहनत रंग लायी और वह आज भारतीय क्रिकेट टीम के एक स्टार खिलाड़ी बन गए।

बहन के सेंविग से खरीदा था जूते-

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बचपन के दिनों में झेली गयी तमाम कठिनाईयों को याद करते हुए भुवनेश्वर ने हाल ही में एक चैनल को दिए इंटरव्यू में खुलासा किया था,‘ जब वह अंडर-17 टूर्नामेंट खेलने के लिए जाने वाले थे, तो उनके पास कोई स्पोर्ट्स शूज नहीं था। जिसके बाद उनकी बहन रेखा ने अपने सेंविंग से भुवी की मदद करते हुए स्पोर्ट्स जूते खरीदवाये।” हालांकि खेल के प्रति समर्पित भाव और दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण भारत के दिग्गज खिलाड़ी के तौर पर खुद को स्थापित किया।