पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की गिनती भारतीय क्रिकेट के सबसे बेहतरीन कप्तानों में की जाती है। उनकी कप्तानी में टीम ने दुनिया भर में अपनी धाक जमाई थी। विश्व कप 2003 के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों टीम को जरुर हार मिली, लेकिन भारतीय टीम ने ही ऑस्ट्रेलिया को लगातार टक्कर दी थी। यही वजह है, कि सौरव गांगुली को महान कप्तानों में गिना जाता है।
टीम में कई जेंटलमैन थे
उस समय की ऑस्ट्रेलियाई टीम जमकर स्लेजिंग किया करती थी, लेकिन गांगुली ने बताया कि उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिलता था। इसकी वजह थी कि उनकी टीम में कई जेंटलमैन खिलाड़ी थे।
उन्होंने भारत- न्यूजीलैंड मैच के दौरान कहा
“यह उस टीम के साथ बहुत कठिन था, क्योंकि हमारे पास बहुत सारे सज्जन थे। यदि आप राहुल द्रविड़ को ऐसा (स्लेजिंग) करने के लिए कहते हैं, तो वह वापस आएंगे और कहेंगे ‘नहीं नहीं नहीं, यह खेलने का सही तरीका नहीं है। आप वीवीएस लक्ष्मण से ऐसा करने के लिए कहेंगे, वह कहेंगे ‘मैं मेरी बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। अगर आप सचिन को ऐसा करने के लिए कहते हैं, तो वह मिड-ऑन पर खड़े होंगे और स्टीव वॉ को स्लेज करने के लिए मिड-विकेट फील्डर को कहेंगे और खुद ऐसा नहीं करेंगे।
एक ही खिलाड़ी करता था मदद
सौरव गांगुली ने बताया कि टीम में सिर्फ एक खिलाड़ी ही उनकी मदद करता था और वह हरभजन सिंह थे। उन्होंने बताया कि वह जो भी बोलते थे, भज्जी यह करने को तैयार रहते थे। हरभजन का ऑस्ट्रेलिया की टीम से लगातार विवाद होता था। उनक प्रदर्शन भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहतरीन था।
दादा ने आगे कहा
“उस टीम में बहुत सारे मुद्दे थे। भारतीय ध्वज को धारण करने वाले हरभजन सिंह और सौरव गांगुली थे। सरदार जी ने वह सब कुछ किया जो मैंने उनसे करने के लिए कहा था।”