जब किसी सेना के सेनापति को किसी बाहरी घुसपैठिये के कहने पर राजा द्व्रारा उसे बर्खास्त कर दिया जाए, तो उस सेनापति के ऊपर क्या गुजरेगी, वो भी तब जब वह सेनापति अपनी सेना के लिए मर मिटने को तैयार हो और कईयों लड़ाईयां जितवाई हों.
ऐसा ही कुछ हाल हुआ था भारतीय क्रिकेट टीम के सेनापति यानी कप्तान के साथ. बात है 2006-07 की जब भारतीय टीम की कप्तानी कर तरहे थे दादा के नाम से मशहूर रहे सौरव गांगुली और जिसे हमने घुसपैठिये की उपमा दी है वह हैं टीम के तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल.
जिन्होंने टीम के प्रदर्शन में तो कुछ ख़ास परिवर्तन नही लाया बल्कि कई विवाद को जरूर जन्म दिया. उन्होंने सौरव गांगुली से कप्तानी छीनने के लिए बोर्ड से कह दिया, जिसे बोर्ड ने स्वीकार भी कर लिया. जबकि यह वही सौरव गांगुली थे, जिनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने जीतने की आदत सी डाल ली थी.
कई सालों बाद सौरव गांगुली ने बताया है कि जब उनसे न केवल कप्तानी छीन ली गयी बल्कि टीम से भी बाहर कर दिया गया तब वह कसा महसूस कर रहे थे, और वह किस तरह इससे उबरने में कामयाब रहे.
पिता ने कहा, तुमने बहुत खेल लिया-
गांगुली ने हाल ही में एक कार्यक्रम में बताया. “मैं साल 2006-07 तक टीम इंडिया का कप्तान था. इसी बीच मुझे कप्तानी से इस्तीफा देने को कहा गया. क्योंकि उस समय टीम इंडिया के कोच बने ग्रेग चैपल को लगा कि मैं अब टीम इंडिया की कप्तानी करने लायक नहीं हूं. इसके बाद मैं करीब 6 महीने के लिए टीम इंडिया से बाहर हो गया. इस दौरान एक दिन सुबह पिता ने कहा, ‘तुमने काफी क्रिकेट खेली है, तुमने टीम इंडिया के लिए करीब 350 गेम खेले हैं. अब ये मायने नहीं रखता कि तुम्हें और गेम खेलने को मिले या न मिलें, क्योंकि इन सालों में जो तुमने पाया है. वो हमेशा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में बरकरार रहेगा’.”
लेकिन मैंने आस नही खोई थी, मै किसी को ये कहने का मौका नही देना चाहता था कि मैंने कोशिश ही नही की. उन्होंने कहा, मैं कड़ी मेहनत कर रहा था, क्योंकि स्पोर्ट्स में उम्र ज्यादा नही रहती और आप एक उम्र के बाद प्रदर्शन नही कर सकते. मेरे पास 3-4 साल थे.
फिर की वापसी-
गांगुली ने बताया, कि “मैं निराश नही था, क्योंकि आप प्रदर्शन के बावजूद टीम में जगह नही बना पा रहे थे. इसलिए इसमें मेरी कोई गलती नही थी, मैने कड़ी मेहनत की. 6 महीने बाद मेरी वास्प हुई. मैंने 5 साल क्रिकेट खेला जब संन्यास लिया तब सचिन तेंदुलकर ने कहा, सौरव आपके पूरे करियर में पिछले तीन-चार सालों में आपकों मैंने सबसे बेहतरीन अंदाज में खेलते हुए देखा है.”
सौरव ने दी बड़ी सीख-
सौरव गांगुली ने कहा, “मैं आप सबसे यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि सफलता के साथ असफलता भी आती है. लेकिन असफलता के बाद ही आपको अपनी सबसे बड़े खूबी के बारे में पता चलता है.”