आईसीसी वर्ल्ड कप 2019 इंग्लैंड एंड वेल्स में खेला जा रहा है। टूर्नामेंट में इस अपने रोमांचक मोड़ पर पहुंच चुका है। 14 जुलाई को लॉर्ड्स में वर्ल्ड कप का फाइनल खेला डाएगा। सेमीफाइनल के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ने क्वालिफाई कर लिया है।
वहीं बाकी की बची 6 टीमें इस दौड़ से बाहर हो चुकी हैं। अब देखना दिलचस्प होगा कि इन चारों मज़बूत टीमों में से वर्ल्ड कप की ट्रॉफी कौन-सी टीम जीतती है।
फाफ-डु-प्लेसिस ने दिया कोलपैक डील पर जवाब
सेमीफाइनल से बाहर होने के बाद साउथ अफ्रीका के कप्तान फाफ-डु-प्लेसिस ने मीडिया से बातचीत की। इस दौरान मीडिया ने जब उनसे कोलपैक डील के बारे में सवाल पूछा कि क्या इस कोलपैक डील से संघर्ष करने में आईसीसी उनकी सहायता कर रही है। तो डुप्लेसिस ने जवाब दिया कि नहीं आईसीसी इसमें हमारी मदद नहीं कर रही है। लेकिन हमारी क्रिकेट साउथ अफ्रीका बोर्ड इससे निजात पाने के रास्ते ढूंढ़ रही है।
#FafduPlessis on the 'Kolpak' question and the implications it may have on South African cricket after #CWC19 pic.twitter.com/EXQ1d4MWrB
— ESPNcricinfo (@ESPNcricinfo) July 6, 2019
हालांकि अभी तक इसका कोई सकारात्मक रिजल्ट सामने नहीं आया है। उन्होंने आगे बताया कि हमारा बोर्ड साउथ अफ्रीका के खिलाड़ियों को उतनी सुख-सुविधाएं मुहैय्या नहीं करवा पाती जितनी उन्हें कोलपैक डील साइन करके इंग्लिश टीम में जुड़कर काउंटी क्रिकेट खेलने से मिलता है।
क्या है कोलपैक डील ?
कोलपैक डील साल 2003 में प्रभाव में आई। स्लोवाकिया के हैंडबॉल के खिलाड़ी मारो कोलपाक को जर्मन के क्लब से रिलीज कर दिया गया था। कारण बताया गया कि नॉन यूरोपीयन खिलाड़ी के कोटे की सीमा के कारण ये निर्णय लिया गया है। उन्हें लगा कि ये उनके साथ अन्याय है।
लिहाजा उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया। यूरोप की अदालत ने उनके पक्ष में फैसला दिया। अदालत ने कहा अगर खिलाड़ी अपने देश के लिए खेलने के अधिकार को छोड़ दे तो वो कोलपैक डील के अंतर्गत यूरोप में खेलने के योग्य है। इस डील के तहत खिलाड़ी को खेलने के लिए केवल वर्किंग वीजा चाहिए।
साउथ अफ्रीका को कोलपैक से हो रहा नुकसान
साउथ अफ्रीका की करेंसी इंग्लैंड के मुकाबले काफी कमजोर है। साउथ अफ्रीका क्रिकेट अपने खिलाड़ियों को उतना पैसा नहीं दे पाता जितना उन्हें इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेलने से मिलता है। करेंसी में ज्यादा अंतर होने के कारण इंग्लैंड से मिलने वाले पैसे उनकी करेंसी में काफी अधिक हो जाते हैं।
ऐसे में साउथ अफ्रीका के खिलाड़ी अपने देश में खेलने से ज्यादा कोलपैक डील के तहत इंग्लिश काउंटी खेलना पसंद करते हैं। जिस कारण साउथ अफ्रीका के पास अच्छे खिलाड़ी नहीं बचते।
श्रीलंका को हराकर जीत के साथ ली विदाई
आपको बता दें, वर्ल्ड कप 2019 साउथ अफ्रीका के लिए कुछ खास नहीं रहा। इस टीम ने नौ में से खेले गए 8 मैचों में से मात्र 2 मैचों में अफगानिस्तान व श्रीलंका के खिलाफ ही जीत दर्ज की। एक मैच बारिश के कारण धुल जाने की वजह से टीम 5 अंकों के साथ प्वॉइंट्स टेबल पर आठवें स्थान पर रही।