बुधवार को मुंबई में विशेष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय की याचिका के आधार पर काले धन को वैध करने के संबंधित आरोप में पूर्व आईपीएल कमीश्नर ललित मोदी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किये हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार , युनाइटेड किंगडम मंत्रालय को भारतीय गृहमंत्रालय द्वारा वारंट भेजा जायेगा.
विशेष जज पी.आर.भावके ने अभियोजन पक्ष से पूछा की क्या अदालत को इस तरह की लम्बी वारंट जारी करने का अधिकार था?
प्रवर्तन निदेशालय के वकील हितेन वेनेगोंकर ने कहा की ललित मोदी भारत में नहीं थे इसलिए एन.बी. डब्लू. जारी किया जाना चाहिए. मोदी को जो नोटिस 2009 में जारी किया था उसका उन्होंने अब तक कोई जवाब नही दिया है.
हालाँकि इस पर जज ने टिप्पड़ी करते हुए कहा, कि-
“NBW किसी भी व्यक्ति को पहले अपराधी घोषित नहीं कर सकता, जब तक कि कोर्ट उसे अपराधी करार न दे, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर ललित मोदी अपराधी है, तो उसके खिलाफ पहले इडी ने केश क्यों नहीं किया??”
प्रवर्तन निदेशालय (इडी) के वकील ने कहा की मामला उस समय मामले की सिर्फ जाँच चल रही थी, और ऐसे में एन बी डब्लू जरी किया जा सकता है.
बीसीसीआई ने मोदी के खिलाफ 2010 में चेन्नई में एफ आई आर दर्ज करायी थी, 2009 में मोदी ने डब्ल्यूएसजी को 918 मिलियन डालर में मीडिया राइट्स बेचे थे, हालाँकि जब WSG ने MSM दवारा सोनी को इसके प्रसारण के अधिकार दिए उस समय उसे 9 सालो के लिए MSM को WSG को 1.63 बिलियन डालर देने के सम्बन्ध में अनुबंध किया गया.
2009 में, प्रवर्तन निदेशालय डब्ल्यूएसजी मॉरिशस के लिए एमएसएम सिंगापुर से 425 करोड़ रुपये सुविधा शुल्क के रूप में भुगतान की जाँच की जो गैरक़ानूनी तरीके से किया गया था, जिसके बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा ) के तहत एक जांच शुरू की गयी.