पिछले 33 सालों में जहाँ अभी तक गूंजती आई थी गोलियों की आवाजें, अब वहां गूंजेगा क्रिकेट का शोर  1

श्रीलंका के जाफना स्थित जंगल कभी पूरी दुनिया में आतंक  का पर्याय बने लिट्टे के गढ़ के रूप में जाना जाता था। लेकिन अब तस्वीर बदलने वाली। लिट्टे के आतंकी यहां कभी अपने गुर्गों को बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दिया करते थे। यहां अब क्रिकेट के गुर सिखाए जाएंगे। गोली की जगह बल्ला यहां रन उगलेगा और वीरान पड़े जाफना में दूर-दूर तक दर्शकों का शोर सुनाई देगा। क्योंकि श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने जाफना में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने का फैसला लिया है।

बोर्ड ने किया जमीन का मुआयना

Advertisment
Advertisment

श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड एक टीम ने जाफना का दौरा करते हुए जमीन का मुआयना भी किया है। जमीन के मुआयना के दौरान श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष तिलंगा सुमतिपाला भी मौजूद रहे । स्टेडियम का निर्माण जाफना जिले के काइट्स इलाके में किया जाएगा,जिसके लिए लगभग 50 एकड़ जमीन भी तलाश ली गई है।

लिट्टे का रहा जाफना में खासा प्रभाव

पिछले 33 सालों में जहाँ अभी तक गूंजती आई थी गोलियों की आवाजें, अब वहां गूंजेगा क्रिकेट का शोर  2

 जाफना अल्पसंख्यक तमिल समुदाय की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है। लेकिन सत्तर के दशक में यहा लिट्टे यानि  लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम का खासा प्रभाव रहा। यहां सत्तर के दशक के मध्य से ही अलगावादियों के साथ  करीब तीन दशक तक हिंसा चली। इस वजह से क्षेत्र का सामाजिक आर्थिक व आधारभूत ढांचागत विकास नहीं हो पाया।

जाफना में हुआ एशिया का सबसे बड़ा संघर्ष

Advertisment
Advertisment

पिछले 33 सालों में जहाँ अभी तक गूंजती आई थी गोलियों की आवाजें, अब वहां गूंजेगा क्रिकेट का शोर  3

लिबरेशन टाइगर्स तमिल ईलम यानि लिट्टे की स्थापना साल 1976 में हुई थी। यह संगठन तमिलों की सांस्कृतिक राजधानी जाफना को मिलाकर उत्तर और पूर्वी श्रीलंका में एक प्रथक तमिल देश की स्थापना करना चाहता था। और ये एशिया में चलने वाला सबसे लंबा नागरिक गृहयुद्ध था। इसका अंत साल 2009 में उस समय हुआ जब लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण को मार गिराया गया।
तमिलों की क्रिकेट में रही दिलचस्पी
पिछले 33 सालों में जहाँ अभी तक गूंजती आई थी गोलियों की आवाजें, अब वहां गूंजेगा क्रिकेट का शोर  4
तमिल समुदाय की क्रिकेट में काफी दिलचस्पी रही। लेकिन लगभग तीन दशक से ज्यादा समय तक चले युद्ध ने यहां की अबोहवा को खराब कर दिया। लेकिन विश्व पटल पर आज भी कुछ तमिल क्रिकेटर श्रीलंका का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनमें विश्व में सर्वाधिक विकेट लेने वाले मुथैया मुरलीधरन का नाम प्रमुख है। मुरलीधरन का संबंध भारतीय मूल से  है। पूर्व क्रिकेटर रसेल अर्नाल्ड भी तमिल मूल से आते हैं। स्टेडियम के निर्माण से यहां स्थानीय स्तर पर कई प्रतिभाओें को उभरने का मौका मिलेगा।