ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच वनडे सीरीज तो शांति से निकल गई, लेकिन जैसे ही टी20 सीरीज का आगाज हुआ। एक बड़े विवाद ने जन्म ले लिया है। कैनबरा में शुक्रवार को ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच तीन मैचों की टी20 सीरीज का पहला मैच खेला गया। इस मैच में रवीन्द्र जडेजा के सब्टीट्यूट के मामले ने तूल पकड़ लिया है।
रवीन्द्र जडेजा के सब्टीट्यूट मामले पर बयानबाजी जारी
इस मैच में भारत की पारी के दौरान रवीन्द्र जडेजा को अंतिम ओवर में मिचेल स्टार्क की गेंद बल्ले से होती हुई हेलमेट पर जा लगी। हेलमेट पर गेंद लगने के बाद रवीन्द्र जडेजा ने बल्लेबाजी जारी रखी, लेकिन पारी के बाद कन्कशन सब्टीट्यूट के तौर पर युजवेन्द्र चहल को मौका दिया गया।
भारतीय टीम ने कन्कशन की मांग की और मैच रेफरी डेविड बून ने आईसीसी के नियमों के तहत इसकी सहमति दे दी। लेकिन अब ये मामला बढ़ता जा रहा है, क्योंकि जडेजा को गेंद लगने के बाद कोई मेडिकल टीम उन तक नहीं पहुंची और उन्होंने खेलना जारी रखा। इसे लेकर बयानबाजी हो रही है, जिसमें अब सुनील गावस्कर भी कूद गए हैं।
बाउंसर नहीं खेल सकते तो, सब्टीट्यूट के लायक नहीं
भारत के महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि
“कन्कशन सब्स्टीट्यूट विकल्प के व्यवसाय पर मैं सहमत नहीं हूं, क्योंकि शायद मैं पुराने जमाने का हूं। मैंने हमेशा माना है कि अगर आप बाउंसर खेलने के लिए पर्याप्त नहीं हैं और आप हेलमेट पर हिट करते हैं तो आप कन्कशन सब्स्टीट्यूट के लायक नहीं हैं।”
“लेकिन फिलहाल इसकी अनुमति दी जा रही है और खेल के नियमों के अनुसार ही सब कुछ किया गया था और रवींद्र जडेजा के बजाय चहल के खेलने में कोई समस्या नहीं थी।”
मैच रेफरी थे ऑस्ट्रेलियाई, नहीं होना चाहिए ज्यादा शोर
ऑस्ट्रेलिया के कई खिलाड़ियों ने इस कन्कशन सब्टीट्यूट को लेकर सवाल खड़े किए हैं। जिसमें मोइसेस हेनरिक्स ने रवीन्द्र जडेजा जैसे ही सब्टीट्यूट देने की बाद कही, जिसे लेकर गावस्कर ने कहा कि
“मैच रेफरी एक ऑस्ट्रेलियाई हैं, वो एक पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर डेविड बून हैं। वे आम तौर पर नियम के तहत गए। हालांकि, आप तर्क दे सकते हैं कि चहल एक ऑलराउंडर नहीं हैं, लेकिन जो कोई भी बल्लेबाजी करता है, चाहे वह 100 रन बनाए या 1 रन बनाए, जहां तक मेरा सवाल है, वो एक ऑलराउंडर है और वो गेंदबाजी करता है।”
“इसलिए ये सब्स्टीट्यूट की तरह है और ऑस्ट्रेलियाई मैच रेफरी को कोई आपत्ति नहीं थी। इसलिए मैं नहीं देखता कि इसके बारे में इतना शोर होना चाहिए।”