कप्तान विराट कोहली की गैरमौजूदगी में रोहित शर्मा की अगुआई में धर्मशाला में श्रीलंका के खिलाफ पहला एकदिवसीय मुकाबला खेलने उतरी भारतीय टीम को लेकर जो शंका जताई जा रही थी वही हाल हुआ. हालाँकि, भारतीय टीम के इतने बुरे प्रदर्शन की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
यूं होता रहा झकझोर देने वाला विकेटों का पतन-
श्रीलंका ने टॉस जीत पहले गेंदबाजी का फैसला किया. यह फैसला उसके गेंदबाजों ने बिल्कुल सही साबित किया. भारतीय टीम के विकेट इस तरह गिर रहे थे जैसे पतझड़ का मौसम आ गया हो. टीम को पहला झटका तब लगा जब उसने खता भी नहीं खोला था. शिखर धवन दूसरे ओवर की आखिरी गेंद पर चलते बने.
इसके बाद दूसरा विकेट 2 रन पर कप्तान रोहित शर्मा के रूप में गिरा. तीसरा विकेट दिनेश कार्तिक के रूप 8 रनों में गिरा, इन्होने 18 गेंद खेली लेकिन खाता भी नहीं खोल पाए. 16 के स्कोर पर चौथा विकेट मनीष पांडे के रूप में गिरा जो घरेलू में तो अच्छा प्रदर्शन करते हैं लेकिन जब बात अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की आती है तो वह मौक़ा भुनाने में अधिकतर नाकामयाब रहते हैं.
पांचवा विकेट अपना पहला मैच खेल रहे श्रेयस अय्यर के रूप में गिरा उस समय भी टीम का स्कोर मात्र 16 रन ही था. उसके बाद हार्दिक पंडया टीम के 28 रनों के कुल योग पर चलते बने. भुवनेश्वर टीम के खाते में एक रन ही जुड़ा था कि भुवनेश्वर कुमार चलते बने.
उसके बाद पुछल्लों से ज्यादा उम्मीद करनी बेमानी थी, लेकिन कुलदीप यादव ने धोनी के बाद सबसे अधिक 19 रन बनाए. इस तरह पूरी टीम 112 पर ढेर हो गयी. जवाब में श्रीलंका ने 21 ओवर की दो गेंद पहले ही 3 विकेट खोकर 114 रन बनाकर लक्ष्य हासिल कर लिया
क्या कहा उसने, जिसने की भारतीय टीम की यह हालत-
भारतीय टीम को इस स्थिति पर पहुंचाने वाले जिस गेंदबाज का सबसे बड़ा हाँथ रहा वह थे सुरंगा लकमल. लकमल ने 10 ओवर में 13 रन देकर 4 विकेट अपने नाम किए. उन्हें मैच के बाद प्लेयर ऑफ़ द मैच का खिताब दिया गया.
मैन ऑफ द मैच लेते हुए लकमल ने कहा, “पिछले दो साल मेरे लिए काफी कठिन रहे हैं, लेकिन मेरे ऊपर कोचिंग स्टाफ ने मेरे ऊपर बहुत मेहनत की है. मैं आज अपने प्रदर्शन से बहुत खुश हूँ. मैं पिछले कुछ दिनों से पूरी तरह फिट और स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ, इसी का नतीजा है कि मैं आज मैच जिताने वाला प्रदर्शन करने में कामयाब रहा.”