क्रिकेट के ‘महाकुम्भ’ यानी टी20 विश्व कप (T20 World Cup 2022) के लिए भारतीय टीम (Team India) का ऐलान हो चुका है। टी20 विश्व कप की शुरुआत 16 अक्टूबर से हो रही है। इस बार टी20 विश्व कप की मेजबानी का जिम्मा ऑस्ट्रेलिया के हाथों में है।
इस टूर्नामेंट में कुल 16 टीमें हिस्सा ले रही हैं। इसी बीच, भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने टी20 विश्व कप 2022 के लिए 15 सदस्यीय भारतीय टीम का ऐलान कर दिया है। हालांकि, इस टीम इंडिया में वो बात नहीं है जो पहले कि टीम इंडिया में थी। इस टीम में आज भी दो खिलाड़ियों की कमी महसूस हो रही है जो पलक झपकते मैच का रुख पलट देते थे। इन दोनों खिलाड़ियों का आज तक रिप्लेसमेंट नहीं मिल पाया है।
इन दो दिग्गजों का नहीं मिल पाया है अब तक रिप्लेसमेंट
टी20 विश्व कप (T20 World Cup 2022) के लिए चयनकर्ताओं ने जिन खिलाड़ियों का चयन किया है, उसमें एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हैं लेकिन आज भी भारत को दो खिलाड़ियों की कमी खल रही है और उनके नाम हैं, महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह। क्रिकेट के पिच पर इन दोनों खिलाड़ियों की तूती बोलती थी और जब यह दोनों साथ में बल्लेबाजी करने उतर जाएं तो गेंदबाजों की खैर नहीं होती थी। इन दोनों से जुड़ा एक मैच है जो पाकिस्तान में खेला गया था।
साल था 2006 और तारीख थी 16 फ़रवरी। जगह था, लाहौर का गद्दाफी स्टेडियम। यहाँ पर दिवंगत अभिनेता राजकुमार का एक डायलॉग फिट बैठता है। ‘हम तुम्हें मारेंगे और जरूर मारेंगे लेकिन वो बन्दुक भी हमारा होगा, जगह भी हमारा होगा और वक्त भी हमारा होगा।’ कुछ ऐसा ही धोनी-युवराज की जोड़ी ने पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के तीसरे वनडे में करके दिखाया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए पाकिस्तान की टीम ने 50 ओवर में 288 रन बना दिए थे। शोएब मलिक ने शानदार 108 रनों की पारी खेली थी। इसके जवाब में टीम इंडिया के 5 विकेट 190 रन तक गिर गए थे।
जब क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर 95 रन बनाकर आउट हुए तो सबको लगा कि यह मैच तो हाथ से निकल गया क्योंकि मास्टर ब्लास्टर के आउट होते ही टीम इंडिया बिखरनी शुरू हो गई थी लेकिन अभी दो खिलाड़ी थे जिनका क्रीज पर आना बाकी था और वो दो खिलाड़ी थे महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह।
क्रीज पर आते ही धोनी और युवराज ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए। धोनी ने सिर्फ 46 बॉल पर 72 रन की धमाकेदार पारी खेली। वहीं, युवराज के बल्ले से 79 रन निकले। इन दोनों के बीच 102 रन की साझेदारी हुई और भारत ने 47.4 ओवर में 292 रन बनाकर मुकाबला जीत लिया। इन दोनों संन्यास लेने के बाद से लेकर आज तक मैनेजमेंट इनका रिप्लेसमेंट नहीं खोज पाई है। आज हम आपको उन 3 कारणों के बारे में बताएँगे जिसकी वजह से आज ही इनकी कमी महसूस हो रही है। अगर अक्टूबर में टी20 विश्व कप (T20 World Cup 2022) जीतना है तो मैनेजमेंट को चुने गए खिलाड़ियों को इनके अंदाज में खेलने की सलाह देनी होगी।
फिनिश करने में थे मास्टर
महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह के भीतर मैच को फिनिश करने की कमाल की कला थी। दोनों खिलाड़ी टिककर बल्लेबाजी करते थे और मैच को अंत तक ले जाकर टीम को जीत दिलाते थे। अगर भारत के टॉप आर्डर फेल भी हो जाए तो इस बात की उम्मीद होती थी कि धोनी और युवराज मैच को बचा लेंगे। हालांकि, इन दोनों के संन्यास के बाद आज तक टीम मैनेजमेंट इनका विकल्प नहीं ढूंढ पाया है। शायद यही कारण है कि भारत 2013 के बाद से एक भी आईसीसी का टूर्नामेंट नहीं जीत सका है।
कलाओं से थे लैश
महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह के भीतर शानदार बल्लेबाजी के आलावा कई और खूबियां भी थीं। युवराज सिंह, बल्लेबाजी, गेंदबाजी के साथ-साथ कमाल के फील्डर भी थे। वनडे में इस खिलाड़ी के नाम 111 जबकि टी20 में 28 विकेट दर्ज हैं। वहीं, धोनी के पास कमाल की कीपिंग स्किल्स थी। विकेट के पीछे से वो गेम पलट देते थे।
वनडे में धोनी के नाम 321 कैच और 123 स्टंपिंग हैं। टी-20 क्रिकेट में उन्होंने 57 कैच और 34 स्टंपिंग की हैं। धोनी की कप्तानी में भारत ने तीन बार आईसीसी के ख़िताब पर कब्जा किया और युवराज के रहते टीम इंडिया ने हर असंभव मैच को अपने नाम किया लेकिन आज इन दोनों के संन्यास लेने के बाद भी इनकी कमी पूरी नहीं हो पाई है।
पावर हीटिंग में थे नंबर 1
महेंद्र सिंह धोनी और युवराज सिंह क्रीज पर टिक्कर बल्लेबाजी के लिए तो जाने जाते ही थे, साथ ही साथ वो मौके पर पावर हीटिंग शॉट्स भी लगाते थे। वर्तमान समय में इसकी अपेक्षा रिषभ पंत और हार्दिक पांड्या से हो रही है। यहाँ तक कि पंत को तो काफी मौके भी दिए गए हैं लेकिन वो मिले हुए मौके का अब तक फायदा नहीं उठा सके हैं। यहाँ तक कि टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में पंत का स्ट्राइक रेट सिर्फ 126 का है जबकि हार्दिक पांड्या भी इसी राह पर हैं।
उन्होंने चोट के बाद वापसी तो की है लेकिन उनके प्रदर्शन में निरंतरता की कमी है। इसके ठीक उलट धोनी और युवराज थे जो मौके पर चौका जड़ने से बाज नहीं आते थे। 2007 का टी20 विश्व कप तो सभी को याद है जहाँ युवी ने इंग्लैंड के खिलाफ 6 गेंद पर 6 छक्के लगा दिए थे। वहीं, आखिरी ओवरों में धोनी का बल्ला हमेशा कोहराम मचाता था। यहाँ तक कि वनडे विश्व कप में धोनी ने छक्का जड़कर भारत को जीत दिलाई थी लेकिन टीम इंडिया के पास ऐसे ही पावर हिटर बल्लेबाजों का आकाल पड़ गया है।