भारतीय क्रिकेट में एक बार फिर कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट यानी हितों के संघर्ष का मुद्दा गरमाया है. इस बार निशाने पर हैं भारतीय क्रिकेट टीम के स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच शंकर बासु. यह मामला तब गरमाया जब नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में सोहम देसाई को ट्रेनर के रूप में जगह दिलाने के आरोप लगे. ये आरोप इस लिए लगे है, क्योंकि देसाई पहले बसु के व्यावसायिक कारोबार से जुड़े थे. साथ ही उन्होंने पहले भी गुजरात रणजी टीम के साथ काम किया था. जानकारी के लिए बता दें, हाल ही में बासु ने एनसीए प्रशिक्षकों की परीक्षा उत्तीर्ण की, जिसके टेस्ट पेपर को शंकर बासु ने ही सेट किया था.
श्रीधर को बुला पूछे गये कुछ सवाल-
यह पता चला कि समिति के सदस्यों में से एक ने आज एमवी श्रीधर से देसाई की नियुक्ति के बारे में पूछा. सबसे पहले तो यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या देसाई की नियुक्ति ‘हित के संघर्ष’ श्रेणी में है या नहीं. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए समिति के एक सदस्य ने बताया कि “श्रीधर को विशेष रूप से पूछा गया कि-
क्या देसाई बसु के पर्सनल जिम से संबंधित है या नहीं?
श्रीधर ने जवाब दिया कि बीसीसीआई द्वारा आयोजित परीक्षा में देसाई दूसरे स्थान पर रहे.
इस पर अनिरुद्ध चौधरी ने एक और प्रश्न पूछा, ‘प्रशिक्षक के लिए पेपर किसने सेट किया?
श्रीधर ने उत्तर दिया: ‘बसु ने ही पेपर बनाया था.
श्रीधर ने कहा, मुझे नहीं लगता यह हितों के टकराव का मामला है-
श्रीधर से जब देसाई की नियुक्ति के बारे में प्रश्न किया गया इसपर श्रीधर ने यह स्पष्ट तौर पर कहा, कि देसाई की नियुक्ति में उसके लिए पर्याप्त सावधानी बरती गई थी. वह परीक्षा में दूसरे स्थान पर थे और यही कारण है कि उन्हें नौकरी मिली मुझे नहीं लगता कि हितों का कोई संघर्ष है. उन्होंने कहा, देसाई की नियुक्ति के बारे में पूछा जाए.
सीईओ राहुल जोहरी ने कहा, हम जांच करेंगे-
हालांकि, सीईओ राहुल जौहरी ने कहा कि वह “इस मामले की जांच करेंगे”.
गौरतलब है कि, प्रशासकों की समिति (सीओए) हितों के टकराव के मामले में बहुत शख्त है, क्योंकि इससे पिछले कुछ सालों में भारतीय क्रिकेट में यह समस्या बहुत तेजी से बढ़ी है.