क्रिकेट का शायद ही कोई रिकॉर्ड होगा जो पूर्व महान भारतीय बल्लेबाज़ और दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने अपने नाम न किया हो. मुंबई के 47 वर्षीय सीनियर क्रिकेटर ने भारतीय टीम के लिए 24 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेली. इस दौरान उन्होंने रिकॉर्ड 200 टेस्ट और 463 वन-डे अंतरराष्ट्रीय मैच खेले. इसके अलावा सचिन ने 1 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच भी खेला है.
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का लगभग हर रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले लिटिल मास्टर ने 14 दिसंबर 2013 को अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आखिरी मैच खेला. हाल ही में सचिन ने एक इंटरव्यू में अपने संन्यास को लेकर एक खुलासा किया है. इस दौरान पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने अपने आखिरी मैच को लेकर भी एक खुलासा किया है.
अभी तक सचिन ने खेले हैं सबसे ज़्यादा 200 अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच
पूर्व भारतीय दिग्गज सलामी बल्लेबाज़ ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच 2013 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ़ मुंबई के वानखेडे स्टेडियम में खेला था. ये मैच उनके करियर का 200वाँ और आखिरी टेस्ट मैच था. तेंदुलकर ने ये भी बताया कि कब उन्हें ये लगा कि वो इसके बाद नहीं खेल पाएंगे.
सचिन के आखिरी मैच में उनकी माँ, पत्नी और पूरा परिवार स्टेडियम में आया हुआ था. उस समय भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने बाकी टीम को सचिन से अलग कर दिया था. वो उनके लिए एक काफ़ी भावुक लम्हा था. संन्यास के 8 साल बाद भी सचिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टेस्ट और वन-डे फ़ॉर्मेट में सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ हैं.
एक वक़्त आया जब लगा कि मेरा वक़्त हो चुका है – सचिन तेंदुलकर
“ओकट्री स्पोर्ट्स” यूट्यूब चैनल पर गौरव कपूर को दिए गए एक इंटरव्यू में सचिन ने अपने रिटायरमेंट पर बोलते हुए कहा कि,
“रिटायरमेंट भाषण देने के लिए मैंने पानी की बोतल अपने पास रखी हुई थी. जब धोनी ने मुझे बाकी खिलाड़ियों से कुछ देर के लिए दूर रहने को कहा.
तो उस वक़्त मुझे पहली बार अहसास हुआ था कि बतौर खिलाड़ी क्रिकेट के मैदान पर ये मेरा आखिरी दिन है. तब मुझे लगा कि मेरा वक़्त आ चुका है. ड्रेसिंग रूम की तरफ़ वापस जाते हुए मैं काफ़ी भावुक था. इसलिए मैं वहाँ जा कर अकेला बैठ गया.”
मैच के दौरान मेरा फ़ोकस परिवार नहीं, क्रिकेट पर होता था – सचिन
अपने आखिरी टेस्ट में परिवार के मैदान में आने पर सचिन ने कहा कि,
“मेरी माँ मैच देखने आई हुई थी. ये मेरे लिए काफ़ी भावुक क्षण था. उससे पहले सभी लोग मुझे लाइव खेलते हुए देख चुके थे. लेकिन मेरी माँ ने मुझे कोई चैरिटी मैच खेलते हुए भी कभी नहीं देखा था. वो काफ़ी परेशान हो जाती हैं. मैच के दौरान मैं नहीं चाहता कि वहाँ कोई बैठा हो.
फ़ैमिली से आने वालों मैं छुर कर बैठने के लिए ही कहता था. मैं मैच के दौरान अपनी क्रिकेट पर फ़ोकस करना चाहता था न कि अपने परिवार वालों को देखना. ये सोचना बेकार था कि मैं उन्हें जश्न मनाते हुए देखूं या नहीं.”