बाउंड्री से एक शक्तिशाली थ्रो विकेटकीपर के दस्ताने में फेंकना और मिडविकेट के उपर से फ्लिक करके छक्का मारना, यह 2 पल थे, जिसके कोच राज कुमार और उनके सहायक सुरेश बत्रा एक 9 वर्ष से लड़के से बेहद प्रभावित हुए, और उन्हें महसूस हुआ कि इस बच्चे में प्रतिभा की कमी नहीं हैं. इसका खुलासा भारतीय स्टार विराट कोहली की नई बायोग्राफी से हुआ.
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30 मई 1998 को विराट कोहली के पिता जी प्रेम ने विराट को वेस्ट दिल्ली एकेडमी में राज कुमार की कोचिंग के लिए भेजा. विराट के इस किताब से कुछ दिलचस्प बात पता चला है, कि “वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, आशीष नेहरा, शिखर धवन, इशांत शर्मा और विराट कोहली में एक बात समान है, कि ये सभी पश्चिमी दिल्ली से संबंध रखते हैं. यह राजधानी दिल्ली का वह क्षेत्र है जहाँ जगह की कमी है और आबादी बहुत ज्यादा है”.
पहली नजर में, कोच राज कुमार को 9 वर्ष के ‘गोल-मटोल’ लड़के में कुछ भी खास नजर नहीं आया. किताब में अपने दौर के ऑफ स्पिनर राज कुमार के द्वारा बताया गया है, कि “अधिकतर बच्चों की तरह वह भी अशांत, जुनूनी और नेट्स में कुछ करने को उत्सुक रहता था. यही वजह थी कि हमें विराट में कुछ भी बहुत खास नजर नहीं आया था”.
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जल्द ही कोच राजकुमार के विचार कोहली के बारे में बदलने लगे, तब उन्होंने इन 2 पल का जिक्र किया. उस पल को याद करते हुए कोच ने कहा कि, “मुझे अब भी याद है. उसने एक ऐसा थ्रो फैंका जिससे हम हैरान हो गए थे. उस दौरान वह केवल 9 वर्ष का था, लेकिन उस थ्रो की मजबूती और सटीकता से अनुमान हो गया, कि उसमें एक खूबी तो है खेल की समझ और इसके बाद हमने कोहली पर ध्यान केंद्रित करने में जरा सी भी देरी नहीं किया.”
पत्रकार विजय लोकपल्ली ने विराट कोहली की बायोग्राफी ‘ड्रिवन: द विराट कोहली स्टोरी’ में लिखा, “उनके(कोच राज कुमार) सहायक सुरेश बत्रा 9 वर्ष के बच्चे के ताकतवर थ्रो को देखकर हैरान रह गए. विराट का थ्रो बाउंड्री से सीधा विकेटकीपर के दस्तानों में गया था.”
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इसके बाद, एक बार फिर हैरान कर देने वाला पल आया. कुछ दिन वेस्ट दिल्ली क्रिकेट अकादमी पर आने के बाद विराट कोहली स्प्रिंगडेल्स स्कूल में अंडर-14 मैच में हिस्सा ले रहे थे. कोहली के बल्ले से लगाये गए शानदार छक्के को देखकर उनके दोनों कोच दंग रह गए. और उस दौरान सुरेश बत्रा ने कहा, “हम प्लेमेकर्स एकेडमी के विरुद्ध मैच खेल रहे थे, यह मैच बैटिंग विकेट पर था. इस बच्चे(विराट) ने बड़ी आसानी से गेंद को फ्लिक किया और गेंद को मिड-विकेट के ऊपर से छक्के मार दिया. 10 वर्ष से भी कम उम्र के बच्चे के लिए यह एक शानदार शॉट था.”
पत्रकार विजय लोकपल्ली ने अपनी किताब में लिखा है, कि इस मैच से राज कुमार और बत्रा को विश्वास हो गया था, कि इस युवा बच्चे में प्रतिभा की कमी नहीं है, जिसे सिर्फ सही तरीके से निखारने की जरूरत है.