केकेआर को दो बार चैंपियन बनाने के बाद भी इस कारण कभी खुश नहीं रह सके गौतम गंभीर 1

एक खिलाड़ी जो किसी भी टूर्नामेंट में कप्तान के तौर पर एक नहीं बल्कि दो खिताब जीत लें, तो उनके अंदर की मनोस्थिति के बारे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। आईपीएल जैसे क्रिकेट जगत के सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में दो खिताब जीताने के बाद कप्तान अपने आपको दुनिया का सबसे खुश मिजाज वाला इंसान मान सकता है।

गौतम गंभीर केकेआर को दो बार चैंपियन बनाने के बाद भी नहीं रहे खुश

लेकिन आईपीएल में एक ऐसा कप्तान है जो अपनी टीम को कप्तानी करते हुए दो बार खिताब दिलाने के बाद भी कभी खुश नहीं रहा, और ना ही टीम के साथ कभी खुलकर हंस पाया। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि खुद कप्तान गौतम गंभीर कह रहे हैं, कि वो केकेआर की टीम के साथ कभी खुशी से नहीं रह सके।

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केकेआर को दो बार चैंपियन बनाने के बाद भी इस कारण कभी खुश नहीं रह सके गौतम गंभीर 2

गौतम गंभीर को कोलकाता नाइट राईडर्स ने साल 2011 में अपनी टीम में 11.50 करोड़ रुपये में शामिल किया। गंभीर पर केकेआर की टीम ने बड़ा दांव लगाया था। तो साथ ही गंभीर के हाथों में टीम की कमान भी सौंप दी। गौतम गंभीर ने टीम के ऑनर को निराश नहीं किया और 2012 के अलावा 2014 में टूर्नामेंट में खिताब दिलाया।

प्रेशर की वजह से कभी नहीं उठा सका आनंद

गौतम गंभीर ने आजतक समाचार चैनल के यू-ट्यूब चैनल स्पोर्ट्स तक पर इस बात का खुलासा किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि “कोलकाता(केकेआर) की टीम में मेरे पैसों का टैग ज्यादा था। इससे मैं अपने खेल का आनंद नहीं उठा पा रहा था।”

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“मैं सच्चाई के साथ बोल रहा हूं, कि कोई ये बोले की मेरे ऊपर पैसों का प्रेशर नहीं है तो मैं ये कहूंगा कि मेरे ऊपर ये प्रेशर था। अगर उन्होंने मुझे 11.5 करोड़ रुपये दिए हैं तो विश्वास करके दिए हैं।”

ऑनर को मुझसे, और मुझे खुद पर थी बहुत ज्यादा उम्मीद

गौतम गंभीर ने आगे कहा कि “जब मैं पहले साल केकेआर में गया तो बहुत ज्यादा प्रेशर था। ये प्रेशर लगातार सात साल तक रहा था। ऐसा नहीं है कि हम 2012 में टाइटल जीत गए तो 2013, 2014, 2015, 2016 और 2017 में प्रेशर नहीं था। उसके बाद भी पांच साल बहुत ज्यादा प्रेशर था।”

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“ऐसा इसलिए था कि मुझे खुद से बहुत उम्मीदें थी। ओनर को भी मुझसे बहुत उम्मीदें थी। मुझे ये साबित करना था कि जो आप मुझे पैसे दे रहे हैं, मैं उनके मुताबिक प्रदर्शन करूं। प्रेशर की वजह से ही मैं आनंद नहीं उठा सका।”