दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दूसरे वनडे मैच में भी टीम इंडिया (Team India) को करारी मात झेलनी पड़ी। भारत ने पहला वनडे 31 तो दूसरा वनडे 7 विकेट से गंवाया। दूसरे वनडे मैच में कई ऐसे भारतीय खिलाड़ी रहे जिन्होंने बहुत ही ख़राब प्रदर्शन किया। दूसरे वनडे मैच में ना तो टीम इंडिया (Team India) की बल्लेबाजी में दम देखने को मिला और ना ही गेंदबाजी में। तो चलिए जानते हैं उन चार खिलाड़ियों के बारे में जो भारत की हार के विलेन रहे।
श्रेयस अय्यर
कप्तान केएल राहुल और रिषभ पंत जब बल्लेबाजी कर रहे थे तब टीम इंडिया (Team India) एक बड़े स्कोर की तरफ जाती दिखाई दे रही थी लेकिन जैसे ही यह दोनों आउट हुए, उसके बाद मध्यक्रम ने एकदम से सरेंडर कर दिया। पहले मैच में खराब प्रदर्शन करने के बावजूद भी श्रेयस अय्यर को मौका दिया गया था लेकिन वो मिले हुए इस मौका का फायदा नहीं उठा पाए। जब अय्यर पर रन बनाने की बड़ी जिम्मेदारी थी, तब वो टीम को बीच मंझधार में ही छोड़कर निकल लिए। उन्होंने महज 14 गेंदों में 11 रन ही बनाए। नतीजा यह हुआ टीम इंडिया बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर पाई।
शार्दुल ठाकुर
टीम इंडिया (Team India) में शार्दुल ठाकुर को बतौर गेंदबाज शामिल किया गया था लेकिन वो बतौर गेंदबाज कुछ खास कमाल नहीं कर पाए। हालांकि, उन्होंने बल्ले से अच्छा खेल दिखाया। दूसरे वनडे मैच में उन्होंने 5 ओवर की गेंदबाजी की और सिर्फ एक ही विकेट हासिल कर पाए। नतीजा यह हुआ कि सारा दबाव बाकि के गेंदबाजों पर आ गया लेकिन यहाँ जितनी गलती शार्दुल ठाकुर की है, उतनी ही गलती कप्तान केएल राहुल की भी है जिन्होंने उनका सही से इस्तेमाल नहीं किया।
वेंकटेश अय्यर
पहले वनडे मैच में कुछ खास कमाल नहीं करने वाले ऑलराउंडर वेंकटेश अय्यर को दूसरे मैच में भी मौका दिया गया था लेकिन वो मिले हुए मौके को भुना नहीं पाए। यह खिलाड़ी गेंद और बल्ले दोनों में बुरी तरह फ्लॉप साबित हुआ। दूसरे मैच में उन्होंने 33 गेंदों में 22 रन बनाए जबकि मैच में उन्होंने 5 ओवर गेंदबाजी की और 28 रन देकर एक भी विकेट हासिल नहीं किया। अब तीसरे वनडे में उन्हें मौका मिलेगा भी या नहीं यह कहना मुश्किल है।
भुवनेश्वर कुमार
दूसरे वनडे मैच में भुवनेश्वर कुमार की गेंदों में कोई जादू देखने को नहीं मिला। इस मैच में वो एक भी विकेट हासिल नहीं कर पाए। उन्होंने 8 ओवर में 67 रन लूटा दिए और एक भी सफलता उनके हाथ नहीं लगी। अगर कप्तान केएल राहुल उनकी जगह दीपक चाहर को मौका देते तो हो सकता था कहानी कुछ और ही होती।