भारत के महान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 2014 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. इसलिए भारतीय टीम लगातार उनके विकल्प की तलाश कर रही है. ऐसे में आज हम आप को बताएँगे वो तीन बड़े कारण जिस वजह से धोनी को क्रिकेट से संन्यास नही लेना था. तो आइये जानते है वो बड़े कारण:
टीम की कप्तानी
महेंद्र सिंह धोनी ने जब कप्तानी छोड़ी थी, तब वो अपने करियर के सबसे अच्छे दौर से गुजर रहें थे. ऐसे में उनके कप्तानी करने से टीम की युवा खिलाड़ियों को काफी ज्यादा सीखने को मिलता. टीम के कई युवा खिलाड़ी उनकी कप्तानी में और ज्यादा बेहतर कर सकते है.
विराट कोहली ने अभी तक अपने सारे टेस्ट मैच में टीम में कोई न कोई बदलाव किया है. ऐसे में धोनी की कप्तानी में टीम में इन युवा खिलाड़ियों को और ज्यादा बेहतर करने का मौका मिलता.
निचलेक्रम में बल्लेबाज़ की कमी
धोनी के जाने के बाद टीम ने उनकी जगह पर कार्तिक, साहा और पार्थिव को अजमाया गया है. ये तीनों ही टेस्ट क्रिकेट में निचलेक्रम में कुछ ख़ास नही कर पाए हैं.
साहा का प्रदर्शन घरेलू जमीन पर अच्छा रहता है, लेकिन विदेशों में वो भी संघर्ष करते हुए नज़र आतें हैं. उनकी जगह कार्तिक भी टेस्ट क्रिकेट में अभी तक कुछ ख़ास नही कर सके हैं.
वहीं पार्थिव भी साउथ अफ्रीका में मिले मौका का फायदा नही उठा सके हैं. ऐसे में धोनी के होने से टीम को एक मजबूत बल्लेबाज़ मिल जाता जो निचलेक्रम में खेल सकता.
विकेटकीपिंग स्किल्स
‘लाइटिंग स्पीड स्टंपिंग’ धोनी की हमेशा से पहचान रही है. धोनी का प्रदर्शन जीतना अच्छा बल्ले से रहा है, उससे ज्यादा अच्छा उनका विकेट के पीछे भी रहा है.
साहा और कार्तिक दोनों ने उनकी जगह भरने की कोशिश तो की है, लेकिन वो अभी तक उनकी जगह भर नही पाए हैं. साहा जहाँ साउथ अफ्रीका में लेट स्विंग की वजह से संघर्ष कर रहे थे, वहीं इंग्लैंड में कार्तिक भी इशांत की लेट स्विंग से खासे परेशान नज़र आ रहे थे. ऐसे में धोनी के होने से टीम को इस पर ध्यान देना नही पड़ता.