इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड की मेजबानी में खेले जा रहे आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2019 के शुरू होने से पहले जब 15 अप्रैल को भारतीय टीम की 15 सदस्यीय विश्व कप स्क्वॉड का चयन होने वाला था तब हर किसी की नजरें चयनकर्ताओं के पैनल पर थी कि उनके पिटारे से चौंकाने वाला नाम कौनसा हो सकता है।
विश्व कप में अंबाती रायडू से ऊपर विजय शंकर पर लगी मुहर
उम्मीद तो बहुत कम थी कि विश्व कप स्क्वॉड में शायद ही कोई चौंकाने वाला नाम हो लेकिन केवल 9 वनडे मैच खेलने वाले तमिलनाडू के युवा ऑलराउंडर विजय शंकर को टीम में जगह देकर चयनकर्ताओं ने हैरान कर दिया।
भारतीय टीम में उससे पहले पिछले लगातार 1 साल से खेल रहे अनुभवी बल्लेबाज अंबाती रायडू को नहीं चुनकर चयनकर्ताओं ने विजय शंकर के नाम पर मुहर लगायी।
विजय शंकर नहीं कर पाए अपने प्रदर्शन से प्रभावित
ये बात किसी को भी पच नहीं रही थी कि आखिर भारतीय टीम के सेलेक्टर्स ने अंबाती रायडू जैसे अनुभवी खिलाड़ी को नजरअंदाज कर कल को एन्ट्री करने वाले विजय शंकर को कैसे विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में ले जा रहे हैं।
अब विजय शंकर के टीम में जगह मिलने की उम्मीद तो नहीं थी लेकिन उन्हें जगह भी मिली और पाकिस्तान के खिलाफ पहला विश्व कप मैच खेलने को भी मिला। इस मैच में विजय शंकर ने 15 रन नाबाद बनाए तो गेंदबाजी से दो अहम विकेट हासिल किए।
क्या सही है विजय शंकर के चोटिल होने के बाद मयंक अग्रवाल को मौका?
इससे लगा कि वो आलोचकों का मुंह बंद कर सकते हैं। लेकिन इसके बाद अफगानिस्तान और वेस्टइंडीज के खिलाफ विजय शंकर के बल्ले से क्रमशः 29 और 14 रन के स्कोर ही निकल सके और सवाल उठने लगे कि क्या शंकर विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंट के लिए फिट थे?
इंग्लैंड के खिलाफ अगले मैच से ठीक पहले विजय शंकर को प्रैक्टिस के दौरान पैर की अंगुली में चोट लग गई और उन्हें विश्व कप से बाहर होना पड़ा है। लेकिन यहां चयनकर्ताओं ने फिर से चौंकाते हुए मनीष पांडे, अंबाती रायडू, श्रेयस अय्यर, अजिंक्य रहाणे जैसे बल्लेबाजों को नजरअंदाज कर वनडे में डेब्यू भी नहीं करने वाले मयंक अग्रवाल को मौका दे दिया।
आखिर क्या सोच है बीसीसीआई और चयनकर्ताओं की?
क्या वो अपने फैसलों से हाथ आया मौका कर रहे हैं बर्बाद?
भारतीय टीम में बल्लेबाजों की कोई कमी नहीं थी। और जिस तरह से इस विश्व कप में तेज गेंदबाजों का गदर नजर आ रहा है उसे देखते हुए तो चयनकर्ता चौथे तेज गेंदबाज के रूप में खलील अहमद या दूसरे गेंदबाजों पर विचार कर सकते थे।
लेकिन सवाल में सवाल ये उठता है कि आखिर चयनकर्ताओं के मन में क्या चल रहा है। आखिर चयनकर्ता टीम सेलेक्शन के दौरान क्या सोच रख रहे हैं तो ऐसे हैरान करने वाले फैसले ले रहे हैं। इसे देखकर इतना कहा जा सकता है कि बीसीसीआई लगातार मौको को बर्बाद कर रही है।
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