इंग्लैंड दौरे से पहले भारतीय टीम के कप्तान विराट कोहली के चोटिल होने की खबर सामने आ रही है। इसके कारण अब वे काउंटी क्रिकेट में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. अगर बात कोहली के चोटिल होने के पीछे असली वजह को लेकर किया जाए तो इसका असली कारण लगातार क्रिकेट का होना बताया जा रहा है।
ऐसे मे खिलाड़ियों को फिट रहने के लिए शारीरिक के साथ मानसिक तौर पर भी मशक्कत करनी पड़ती है. तो आईये जानते हैैं कि बदलते दौर में क्रिकेट ने कैसे खिलाड़ियों की थकान बढ़ाई है।
गावस्कर के दौर में टेस्ट क्रिकेट का ज्यादा होना
अपने अर्न्तराष्ट्रीय क्रिकेट का साल 1971 में आगाज करने वाले गावस्कर के दौर में अर्न्तराष्ट्रीय वनडे क्रिकेटर का आगाज नहीं हुआ था। उस दौरान टीम इण्डिया एक साल के दौरान महज 8 से 10 टेस्ट मैच ही खेलती थी।
इसके बाद साल 1974 में वनडे क्रिकेट की शुरूआत हुई। इस दौरान भारतीय टीम साल में 10 से 12 वनडे मैच ही खेलती थी। ऐसे में कुल मिलाकर भारत के दिग्गज खिलाड़ी पूरे साल में 23 से 24 मैच ही खेलते थे।
इस वजह से बढा़ कोहली पर बोझ
अगर सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर के दौर से वर्तमान विराट कोहली के दौरे को लेकर तुलना करे तो इस लिहाज से काफी ज्यादा क्रिकेट खेले जाने है। इसमें सबसे थका देने वाला टूर्नामेंट आईपीएल का ही है,जो अपने अंतिम चरण की ओर पहुंच चुका है।
आईपीएल का भी बीच में आ जाना
अगर विराट कोहली द्वारा एक साल के भीतर खेले जाने वाले मैच को लेकर बात किया जाए तो इस खिलाड़ी ने अब तक कुल 61 मैच खेले हैं। इसमें से 29 वनडे और 9 टेस्ट मैच शामिल है।
इसके अलावा कोहली ने 9 टी20 मैच और बाकी के 14 मैच आईपीएल के दौरान खेले हैं। इसको देखकर यह साफ नजर आता है कि टी20 क्रॅिकेट ने कप्तान पर ज्यादा बोझ डाला है।