डीआरएस यानी डिसिजन रिव्यू सिस्टम एक बार फिर चर्चा में आ गया है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और भारत के पूर्व टेस्ट कप्तान महेंद्रसिंह धोनी हमेशा इसका विरोध करते रहे हैं। भारत के कप्तान विराट कोहली ने कहा कि वह विवादित डीआरएस पर अपने साथी खिलाड़ियों से बातचीत के लिए तैयार हैं।

कोहली ने कहा कि वह अपने गेंदबाजों और बल्लेबाजों से बात करेंगे क्योंकि बांग्लादेश से टेस्ट मैच के बाद अब काफी समय है। महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली घरेलू क्रिकेट में अम्पायरिंग कर चुके पूर्व स्पिनर मनिंदर सिंह कहते है कि कोहली सकारात्मक सोच वाले खिलाड़ी है। उनकी यही सकारात्मकता उन्हें यह कहने के लिए मजबूर कर रही है कि जब सारी दुनिया डीआरएस मान रही है तो भारत क्यों नहीं मान रहा।

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आखिर बीसीसीआई को इसमें क्या परेशानी है?

मनिंदर कहते है, परेशानी बोर्ड को नहीं थी, परेशानी धोनी को थी, क्योंकि उन्हें मालूम नहीं था कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाये। बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन का उन्हें पूरा समर्थन था, लेकिन अब सत्ता बदल गई है। लगता है कि अब कोहली जो सकारात्मक बात कर रहे हैं कहीं न कहीं बोर्ड का भी इशारा है कि जब बाकी देश डीआरएस अपना रहे हैं, तो हम भी अपनाएंगे। क्रिकेट समीक्षक विजय लोकपल्ली कहते हैं कि कोहली ने निश्चित रूप से एक सकारात्मक बात की है।
उन्होंने कहा, इससे पहले भारत के सीनियर खिलाड़ियों को लगता था कि यह प्रणाली पूरी तरह सही नहीं है और मेरा भी ऐसा ही मानना है।

वैसे भी कोहली भविष्य की सोचते हैं और वह ऐसा इसलिए भी कह रहे हैं, क्योंकि कई बार निर्णायक मोड़ पर गलत निर्णयों की वजह से मैच भारत के हाथ से निकल गए। लोकपल्ली कहते है कि एलबीडब्ल्यू में डीआरएस हमेशा सही नहीं होता, क्योंकि गेंद पिच होने के बाद कितनी ऊंचाई तक जाएगी इसका फैसला नहीं हो सकता, लेकिन अगर गेंद ने बल्ले का बाहरी किनारा लिया है, लेकिन अम्पायर को इसका पता नहीं चला और विकेटकीपर को पता है तो फिर डीआरएस लिया जा सकता है।

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