भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व विस्फोटक बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने ‘एचटी-मिंट एशिया लीडरशिप समिट’ में सचिन तेंदुलकर के साथ खेलने के बारे में बात करते हुए बताया कि उन्हें सचिन को कॉपी करके वह कामयाबी नहीं मिली, तब उन्होंने अपने खेलने का नया तरीका निकाला जिसने उन्हें खूब कामियाबी दिलाई और भारत के महान ओपनर्स की लिस्ट में शामिल किया।
सचिन को कॉपी करके नहीं मिली सफलता
सिंगापुर में आयोजित ‘एचटी-मिंट एशिया लीडरशिप समिट’ में वीरेंद्र सहवाग ने अपनी बात रखते हुए कहा,
‘मैं सचिन की तरह दिख सकता हूं, उनकी तरह खेल सकता हूं, लेकिन उनकी तरह परफॉर्म नहीं कर सकता। और मैंने जिस दिन यह बात समझ ली तो अपने खेलने का तरीका भी बदल दिया।’
गलतियों से ज्यादा चौके-छक्के जड़ने पर रहता था मेरा ध्यान
वीरेंद्र सहवाग ने अपनी बैटिंग स्टाइल के बारे में बात करते हुए कहा,
‘टेक्निक और मेथड से ज्यादा, मैं बॉल को देखने और हिट करने पर फोकस करता था। इसी तरीके से सफलता-प्रसिद्धी भी मिली । जब सभी क्रिकेटर अपना गेम देखते थे और गलतियां ढूंढते थे, तब मैं चौके और छक्के लगाने में विश्वास करता था और अपने खेल का आनंद उठाता था।’
धाकड़ रिकॉर्ड्स से भरा रहा सहवाग का क्रिकेट करियर
हर क्रिकेटर की जिंदगी में बुरा पैच आता है। ऐसा ही वीरेंद्र सहवाग की भी लाइफ में हुआ। 1999 में डेब्यू करने वाले सहवाग को अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाने के कारण टीम से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद 2000 में वह फिर से टीम में आए और टेस्ट के साथ ही वनडे में भी अपनी विस्फोटक ओपनिंग के दम पर अपने नाम का लोहा मनवाया।
वीरेंद्र सहवाग के नाम टेस्ट और वनडे दोनों ही फॉर्मेट में 8000 से अधिक रन दर्ज हैं। आपको बता दें, वैसे तो वीरु के नाम कई रिकॉर्ड्स दर्ज हैं लेकिन वह भारत के लिए टेस्ट में तीहरा शतक जड़ने वाले पहले और दो तिहरा शतक जड़ने वाले इकलौते बल्लेबाज हैं। वह भारत के अब तक के सबसे सफल टेस्ट ओपनर भी हैं।