क्रिकेट जगत के सबसे बड़े बल्लेबाज भारत के सचिन तेंदुलकर का सर्वोच्च स्थान है। सचिन तेंदुलकर ने अपनी बल्लेबाजी से वो सबकुछ किया है, जो कोई अपने सपने में भी नहीं सोच सकता। सचिन तेंदुलकर जब मैदान में उतरते थे, तो दर्शकों को एक अलग ही ऊर्जा का संचार तक कर देते थे।
सचिन की तरह होते थे सहवाग के कुछ शॉट्स
जिस तरह से सचिन तेंदुलकर मैदान में उतरते और दर्शकों का अहसास देते थे, वैसा ही अहसास भारत के पूर्व बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग के मैदान में उतरते वक्त मिलता था। वीरेन्द्र सहवाग की बल्लेबाजी में कुछ शॉट्स सचिन से मिलते-जुलते नजर आने के कारण उन्हें सचिन का क्लोन कहा जाता था।
सचिन को 1992 विश्व कप में टीवी पर देख करते थे कॉपी
सचिन तेंदुलकर का क्लोन कहलाने जैसे वीरेन्द्र सहवाग ऐसे ही नहीं बने हैं बल्कि उन्होंने सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी से काफी कुछ सीखा है ये तब सीखा है जब सचिन तेंदुलकर मैदान में जमकर अपना रंग दिखाते थे तो वहीं सहवाग का करियर शुरू भी नहीं हुआ था।
साल 1992 में सचिन तेंदुलकर ने भारत के लिए पहला विश्व कप खेला, उस समय वीरेन्द्र सहवाग ने अपने घर बैठे सचिन की बल्लेबाजी खूब देखी है और उसी से उन्होंने सचिन की बल्लेबाजी को कॉपी करने की कोशिश की जिसमें उन्होंने स्ट्रेट ड्राइव और बैकफुट पंच सीखे।
सचिन की टीवी पर बल्लेबाजी देख सीखा स्ट्रेट ड्राइव
ये बात खुद वीरेन्द्र सहवाग ने कही। एक एप लॉन्च के दौरान सहवाग ने कहा कि
“साल 1992 में उन्होंने पहली बार सचिन को बल्लेबाजी करते हुए टीवी पर देखा था। अगर आप मैदान पर खेल होता हुआ देखते हैं तो उससे काफी कुछ सीख सकते हैं। अगर मैं अपना ही उदाहरण दूं तो मैंने 1992 वनडे वर्ल्ड कप से क्रिकेट देखना शुरू किया था और मैंने सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी को देखकर उसे कॉपी करने की कोशिश करता था। वो किस तरह से स्ट्रेट ड्राइव लगाते हैं या फिर किस तरह से बैकफुट पंच मारते थे। 1992 में मैंने उन्हें टीवी पर खेलता देखकर काफी कुछ सीखा।”
सहवाग ने आगे कहा कि
“अब वक्त बदल गया है और आप अपने पसंदीदा बल्लेबाजों के वीडियो देखकर काफी कुछ सीख सकते हैं, लेकिन हमारे समय में वीडियो उपलब्ध नहीं थे। उस समय ये सुविधा नहीं थी कि, ऑनलाइन बात करके या फिर वीडियो देखकर कुछ सीखा जाए। अगर ऐसा होता तो मैं जरूर और ज्यादा सीख जाता।”
इन तीन दिग्गजों से सीखा बल्लेबाजी का स्टांस
अपनी बल्लेबाजी के स्टांस को बदलने को लेकर
“हर कोई कहता था कि मुझे इसमें सुधार करना चाहिए लेकिन ये कोई नहीं बताता था कि सुधार कैसे करना है। मंसूर अली खान पटौदी, सुनील गावस्कर कृष्णामचारी श्रीकांत की सलाह पर मैंने लेग स्टंप की जगह मिडिल स्टंप पर खड़ा होना शुरू किया और उससे मुझे काफी मदद मिली।”