आजकल कहा जाता है कि महिलाए पुरुषो से किसी भी काम में पीछे नहीं है, जो आजकल की महिलाए अपने बड़े बड़े कारनामो व कामो से सच भी साबित करके दिखा देती है. आजकल की महिलाए पुरुषो से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं है. फिर चाहे वह खेल का ही क्षेत्र क्यों ना हो. हाल में ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने टी-20 विश्व कप के फाइनल में पहुंचकर देश का मान बढ़ाया था.
फाइनल जीतने का सपना नहीं हो पाया पूरा
फाइनल मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने निर्धारित 20 ओवर में 4 विकेट के नुकसान पर 184 रन का एक विशाल स्कोर खड़ा किया था. ऑस्ट्रेलिया के लिए एलिसा हिली ने 39 गेंदों पर 75 रन की तूफानी पारी खेली. वहीं टीम के लिए बेथ मुनी ने 54 गेंदों पर 78 रन की तूफानी पारी खेली.
भारत इस 185 रन के लक्ष्य के जवाब में 19.1 ओवर में मात्र 99 रन के स्कोर पर आउट हो गई थी. भारत के लिए सबसे ज्यादा 35 गेंदों पर 33 रन की पारी दीप्ती शर्मा ने खेली थी. वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए मेघन स्कट ने अपने 3 ओवर में मात्र 18 रन देकर कुल 3 विकेट हासिल किये थे.
हम उनसे फिटनेस में पीछे, स्किल्स में नहीं
मुंबई मिरर अखबार से बातचीत के दौरान हरमनप्रीत कौर ने कहा, “आज के समय में खिलाड़ी फिट रहने को लेकर पहले से ज्यादा जागरुक है और इसी हिसाब से अपनी रोजमर्रा की डाइट का पालन करते हैं. इन सब चीजें भारतीय महिला खिलाड़ी पिछले दो-तीन सालों से ध्यान दे रही हैं. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में बहुत पहले से इन चीजों पर ध्यान दिया जा रहा है. हम उनसे फिटनेस में पीछे हैं, लेकिन स्किल्स में नहीं.”
हमारा घरेलू ढांचा उस स्तर का नहीं है जैसा उसे होना चाहिए
हरमनप्रीत कौर ने आगे अपने बयान में कहा, “बीसीसीआई के व्यक्ति आधारित प्रोग्राम के चलते इसमें काफी तेजी से सुधार भी हो रहा है. पहले एक घरेलू खिलाड़ी की फिटनेस और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की फिटनेस में बड़ा अंतर हुआ करता था. बीसीसीआई अब करीब 30 लड़कियों को व्यक्तिगत तौर पर ट्रेनिंग दे रहा है.
अब किसी लड़की को भारत के लिए खेलने के लिए चुना जाता है तो वो अपनी जिम्मेदारियों को लेकर ज्यादा कंफ्यूज नहीं दिखती. जैसे-जैसे घरेलू स्तर पर महिला क्रिकेट सुधर रहा है वैसे ही इसका असर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट पर भी दिखने लगा है. इसी लिए मैंने कहा कि हम ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड से पांच-छह साल पीछे हैं. हमारा घरेलू ढांचा उस स्तर का नहीं है जैसा उसे होना चाहिए.”