भारतीय टीम के लिए खेल चुके लेग स्पिनर पियूष चावला ने एक बयान दिया है, जिसमे उन्होंने बताया है कि एक बार उन्होंने सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए चयनकर्ताओं की बोलती बंद कर दी थी. साथ ही उन्होंने अपने टेस्ट करियर को लेकर भी बात की है. उन्होंने माना है कि उन्हें टेस्ट टीम से ड्राप किये जाने के बाद काफी बुरा लगा.
सचिन पाजी स्ट्रेट ड्राइव से 100 में से 60 बनाते, तो क्या शतक का मूल्य नहीं
आकाश चोपड़ा के यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए भारतीय स्पिनर पियूष चावला ने कहा, “मुझे याद है एक बार मैंने एक चयनकर्ता से बात की थी. उस चयनकर्ता ने मुझे कहा था कि मैं सबसे ज्यादा विकेट गुगली से लेता हूं. मैं ऐसा व्यक्ति हूं, जो चीजों को अपने दिल में नहीं रखता है और मैं जल्दी वापस जवाब देता हूं. मेरी यह चीज बहुत लोगों को पसंद नहीं है.
मैंने उससे कहा अगर सचिन पाजी अपनी स्ट्रेट ड्राइव से 100 में से 60 रन बनाते हैं, तो क्या उस शतक का मूल्य नहीं है’? मुझे लगता है कि उन्हें मेरे वो शब्द पसंद नहीं आए.”
मुझे टीम से बाहर किया गया, तब मुझे बुरा लगा
पियूष चावला ने भारत के लिए कुल 3 टेस्ट मैच खेले हैं, जिसमें उन्होंने 7 ही विकेट लिए हैं. यह तीनों टेस्ट उन्होंने लंबे अंतराल में खेले. 2006 में डेब्यू टेस्ट खेलने के बाद चावला को दूसरा टेस्ट 2008 में और तीसरा टेस्ट 2012 में खेलने को मिला.
आकाश चोपड़ा ने आगे अपने बयान में कहा, “सच कहूं, तो पहले दो टेस्ट जो मैंने खेले उसमें मैंने अच्छा परफॉर्म नहीं किया था. मुझे पता है कि मैंने अच्छा नहीं किया था, इसलिए मुझे टीम से बाहर होने का कोई पछतावा नहीं था.
तीसरे टेस्ट में मैंने अच्छा किया, लेकिन फिर भी मुझे टीम से बाहर किया गया. तब मुझे बुरा लगा था, क्योंकि उस समय मुझे बाहर करने की वजह नहीं बताई गई थी, लेकिन आप केवल अपनी प्रक्रिया पर काम कर सकते हैं. मुझे निराशा हुई, लेकिन मैंने इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा, नहीं तो मैं अपने खेल का लुत्फ नहीं उठा पाता”