23 अक्टूबर बुधवार को सौरव गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष का अपना पद संभाल लिया था. गांगुली के अध्यक्ष बनने की घोषणा पहले ही हो चुकी थी, लेकिन अधिकारिक तौर पर उन्होंने बीसीसीआई का कामकाज 23 अक्टूबर से संभाला था. बता दें, कि सौरव गांगुली पिछले 5 साल से बंगाल क्रिकेट एशोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
अनुराग ठाकुर का मिला था समर्थन
दरअसल बीसीसीआई अध्यक्ष पद के लिए एन श्रीनिवासन और अनुराग ठाकुर का गुट आमने-सामने था. जहां श्रीनिवासन अपने करीबी बृजेश पटेल को अध्यक्ष बनाना चाहते थे, वहीं अनुराग ठाकुर सौरव गांगुली का समर्थन कर रहे थे.
आखिरकार मुंबई में हुई एक बैठक में काफी जोर लगाने के बाद गांगुली के नाम पर सहमति बनी और पटेल को आईपीएल चेयरमैन बनाने पर सहमति बनी. इनके अलावा गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को बीसीसीआई सेकेट्री और अनुराग ठाकुर के भाई अरुण सिंह का कोषाध्यक्ष बनाया गया.
जब भी कठिन समय होता है तो मेरा नाम सामने आता
गांगुली ने क्रिकेट असोसिएशन ऑफ बंगाल (कैब ) द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में बोलते हुए कहा, “मेरे लिए सबसे अच्छी बात यह है कि मैं लोगों को यह यकीन दिलाने में समर्थ रहा कि मैं इसके काबिल हूं. मुझे जो भी करने का मौका मिलेगा मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा. मैं वही करूंगा जो मेरा दिल कहेगा और जो भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा होगा.
जब मैं भारतीय टीम का कप्तान बना तो वह खेल के लिए मुश्किल समय था और अब जब मैं बीसीसीआई का अध्यक्ष बना हूं तो यह भारतीय क्रिकेट के लिए मुश्किल वक्त था. यह देखना अच्छी बात है कि जब भी कठिन समय होता है तो मेरा नाम सामने आता है.”
आप बोर्ड से विश्वसनीयता की उम्मीद कर सकते
गांगुली ने अपने बयान में आगे कहा, “जब मैं अपना कार्यकाल समाप्त करू तो मैं नही चाहता कि कोई यह कहे कि क्रिकेटर सिर्फ पिच पर ही खेल सकते हैं, वह प्रशासनिक काम नहीं कर सकते. कैब के अपने कार्यकाल के दौरान, मैं गर्व से कह सकता हूं कि मुझे किसी दबाव का सामना नहीं करना पड़ा. मेरे अध्यक्ष बनने के बाद आप बोर्ड से विश्वसनीयता की उम्मीद कर सकते हैं.”