आंकड़ो के आधार पर जाने कौन हैं बेहतर विकेटकीपर बल्लेबाज़ रिद्धिमान साहा या पार्थिव पार्थिव 1

भारत और इंग्लैंड के बीच नवाब पटोदी टेस्ट सीरीज खेली जा रही हैं. जिसके तीसरे टेस्ट मैच में भारतीय क्रिकेट में ऐसा कुछ हुआ, जिसे देख और सुन कर सभी हैरान रह गये.

इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली टेस्ट शुरु होने से पहले भारतीय टीम के मुख्य विकेटकीपर बल्लेबाज़ रीद्धिमान साहा अचानक से ही चोटिल और मानसिक दबाव का शिकार होने की वजह से भारतीय टीम से बाहर हो गये.

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रीद्धिमान साहा के अचानक टीम से बाहर हो जाने पर भारतीय टीम के राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने टीम में सबसे पुराने और अनुभवी विकेटकीपर बल्लेबाज़ पार्थिव पटेल को टीम में वापस एक बार मौका दिया.

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पार्थिव पटेल किसी को मानो यकीन हैं नहीं हुआ, कि एक दम से पार्थिव पटेल भारतीय टीम में कैसे आ गये. पार्थिव का नाम वाकई में चौकाने वाला था. पर एक तरह से देखा जाएँ तो पार्थिव से अनुभावी विकेटकीपर अभी कोई हैं भी नहीं.

पार्थिव पटेल भारतीय टीम के घरेलू स्तर के सबसे कामयाब बल्लेबाजों में से एक हैं. पार्थिव ने जब से क्रिकेट खेलना शुरू किया हैं. तब से लेकर अब तक पार्थिव घरेलू स्तर और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में रनों का अंबार लगते हुए आ रहे हैं.

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पर अभी भी क्रिकेट के गलियारों में यही बात चल रही हैं, कि क्या पार्थिव पटेल को रीद्धिमान साहा के स्थान पर भारतीय टीम में मौका देना चाहिये था या नहीं. सभी के बीच यही चर्चा चल रही हैं. दोनों विकेटकीपर बल्लेबाजों में  सबसे बेहतर कौन हैं.

संयोग की बात तो यह हैं, कि

साहा और पार्थिव दोनों ही खिलाड़ियों ने अभी तक 20-20 टेस्ट मैच ही खेले हैं.

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आइये जानते हैं आंकड़े क्या कहते हैं. कौन हैं सबसे बेहतर विकेटकीपर बल्लेबाज़-

पार्थिव पटेल 

steve-waugh-and-parthiv-patelपार्थिव ने टीम इंडिया के लिए अपना पहला टेस्ट डेब्यू 2002 में इंग्लैंड के खिलाफ नॉटिंघम के मैदान पर की थी. उन दिनों भारतीय टीम को एक ऐसे विकेटकीपर की तलाश थी. तब गुजरात में जन्मे पार्थिव पटेल ने टीम में एंट्री मारी. पार्थिव का कद कम था और उम्र भी बहुत छोटी तो किसी को यकीन नहीं हुआ, कि क्या पार्थिव टीम में हो रही एक बेहतर विकेटकीपर की तलाश को पूरा कर सकेंगे या नहीं.

पार्थिव अपने पहले टेस्ट में तो कुछ बड़ा कारनामा नहीं कर सकें, लेकिन उनकी विकेटकीपिंग की सभी ने बहुत प्रसंशा की. भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली भी उनकी शानदार विकेटकीपिंग देखकर दंग रह गये. क्यूंकि टीम के पास कोई विकेटकीपर नहीं था. इसलिए टीम पार्थिव के साथ खेलती रही.

टीम में मिले लगातार मौकों का पार्थिव फायदा नहीं उठा पायें और टीम से अंदर बाहर होते रहे. पार्थिव पटेल को भारतीय टीम में इंग्लैंड के विरुद्ध पुरे 8 साल के लम्बे अन्तराल के बाद टीम में चुना गया.

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पार्थिव ने अभी तक अपने टेस्ट करियर के 14 सालों में मात्र 20 मैचों में टीम के लिए शिरकत की. जिस दरमियाँ उनके बल्ले से 29.69 की औसत के साथ मात्र 683 रन ही बना सकें. जिसमे उन्होंने कोई शतक नहीं लगाया और सिर्फ 4 अर्धशतकीय पारियां खेली. पार्थिव ने बतौर विकेटकीपर टीम के लिए 41 कैच और 8 स्टंपिंग की.

रीद्धिमान साहा

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रीद्धिमान साहा ने अपने अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट सफ़र बतौर बल्लेबाज़ किया था. साहा ने साल 2010 में नागपुर टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध अपना डेब्यू टेस्ट खेला था. साहा हमेशा से ही एक बढ़िया विकेटकीपर बल्लेबाज़ रहे हैं.

चूँकि तब भारतीय टेस्ट टीम में महेंद्र सिंह धोनी खेलते थे. इसलिए साहा को ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला. धोनी के संन्यास के बाद रीद्धिमान साहा के रास्ते भारतीय टीम के लिए पूरी तरह से खुल गये.

इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली टेस्ट से चोटिल होने से पहले साहा ने भारतीय टीम के लिए 20 टेस्ट खेले हैं. जिसमे उन्होंने केवल 733 रन बनाये. उनका औसत 28.19 का रहा. जिस दौरान उन्होंने 1 शतक और 4 अर्धशतक बनाये. बतौर विकेटकीपर 31 कैच और 7 स्टंपिंग की.

अब बात अगर तुलना की जाएँ तो. हम साफ़ कह पायेंगे कि-

आंकड़ो को देखकर यह साफ़ पता चलता हैं, कि पार्थिव पटेल के नाम कोई शतक दर्ज नहीं हैं और यही नहीं रनों के मामले में भी वो साहा से थोड़ा पीछे ही रह गये.

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परन्तु अगर अनुभव की बात की जाएँ और घरेलु स्तर के प्रदर्शन को देखा जाएँ तो पार्थिव का पलड़ा हमेशा से ही साहा के ऊपर हावी रहा हैं.

जिस कारण हम यह कह सकते हैं, कि चयनकर्ताओं ने पार्थिव पटेल को टीम में वापस शमिल करते हुए कोई गलती नहीं की हैं. दोनों खिलाड़ियों की उम्र भी लगभाग समान ही हैं.

पार्थिव पटेल अभी 31 और रीद्धिमान साहा 32 वर्ष के हैं.

Akhil Gupta

Content Manager & Senior Writer at #Sportzwiki, An ardent cricket lover, Cricket Statistician.