गुरु और शिष्य का रिश्ता बहुत मान और सम्मान से भरा होता है. एक गुरु हमेशा यही चाहता है कि उसका शिष्य इतना नाम कमाए कि गुरु की पहचान अपने शिष्य की वजह से हो. यही एक गुरु की असली दीक्षा होती है.
कई बार ऐसा होता भी है. ऐसा ही हुआ भारत के तेज गेंदबाज आशीष नेहरा के साथ, जिन्होंने क्रिकेट की बारीकियां गुरु तारक सिन्हा से सीख दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों को भी अपने सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.
लेकिन आशीष नेहरा न्यूज़ीलैण्ड के खिलाफ दिल्ली में होने वाले पहले टी20 मैच के बाद संन्यास लेने जा रहे हैं. ऐसे में उनके गुरु तारक सिन्हा बेहद भावुक हैं. उन्होंने हिंदी के प्रतिष्ठित अखबार दैनिक जागरण से बात की. जिसमे उन्होंने बताया इस वजह से उनका प्यारा शिष्य है सबसे अलग..
भारतीय टीम से जुड़े रहे-
कोच ने कहा कि इतनी चोट के बावजूद उन्होंने अपने करियर को शानदार ढंग से पिरोया. मेरे सामने उसने खेलना सीखा और अब क्रिकेट से विदा ले रहा है. निश्चित तौर पर मैं इसको लेकर दुखी हूं कि भारत का इतना बड़ा सितारा आखिरी मैच के बाद खेलते हुए नहीं दिखेगा. मैं उन्हें भविष्य के लिए शुभकामना देता हूं.
मैं चाहता हूं कि वह किसी न किसी रूप में भारतीय टीम को अपनी सेवाएं देते रहें क्योंकि उनके जैसे लोगों की टीम इंडिया को जरूरत है.
अन्य तेज गेंदबाजों से बिलकुल अलग-
उन्होंने कहा कि दुनियाभर के अधिकतर तेज गेंदबाज आक्रामक होते हैं. कुछ अपने चेहरे पर क्रीम लगाकर बल्लेबाजों को डराते हैं तो कुछ स्लेजिंग करते हैं. कुछ पिच पर दौड़ते हुए बल्लेबाज तक पहुंच जाते हैं लेकिन नेहरा ने कभी ऐसा नहीं किया। उन्होंने अपने क्रिकेट करियर के अधिकतर समय में पूरा ध्यान लाइन-लेंथ पर लगाया.
वह दुनिया के गिने-चुने जेंटलमैन तेज गेंदबाजों में से एक हैं और उनकी यही बात उन्हें औरों से अलग करती है. उन्होंने कभी तेज गेंदबाज वाला स्वभाव नहीं दिखाया.
परेशान होने पर नोचता था बाल-
कोच ने बताया, वह बचपन से ही बड़े मेहनती थे लेकिन जब कड़ी मेहनत करने के बावजूद उनका दिल्ली अंडर-19 टीम में चयन नहीं हुआ तो वह क्रिकेट छोड़ना चाह रहे थे. मुझे याद है कि वह अपने बालों को नोचते हुए आए और कहा कि सर अब मैं क्रिकेट नहीं खेलूंगा.
जब वह परेशान होते थे तो अपने बाल नोचते थे, लेकिन हमने उनकों संभाला और उनका उत्साह बढ़ाया. वह भारत के उन गिने-चुने खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने पहले रणजी खेला और बाद में अंडर-19 टूर्नामेंट में खेला. हालांकि कुछ समय के बाद ही उन्हें भारतीय टेस्ट टीम में चुन लिया गया.