जिस कुंबले ने 2013 में खत्म हो चुके सहवाग के करियर को दिया गति आज उसी का करियर खत्म करना चाहते है सहवाग? 1
Indian cricketer Virender Sehwag (L) and Anil Kumble enjoy a light moment during a prize distribution ceremony at the conclusion of the first Test match between India and South Africa at The M.A. Chidambaram Stadium in Chennai on March 30, 2008. The first Test between India and South Africa has ended in a draw. The second match of the three-Test series begins in Ahmedabad on April 3. AFP PHOTO/Dibyangshu SARKAR (Photo credit should read DIBYANGSHU SARKAR/AFP/Getty Images)

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग ने भारतीय टीम के लिए कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस दौरान भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और दिग्गज गेंदबाज अनिल कुंबले का भी वीरेन्द्र सहवाग के परवान चढ़ते करियर में बड़ा अहम योगदान रहा है। सहवाग ने अनिल कुंबले की कप्तानी में भी बड़ी सफलताएं हासिल की है, लेकिन विडंबना देखिए आज वहीं वीरेन्द्र सहवाग भारतीय टीम के कोच पद की रेस में अनिल कुंबले को चुनौती देने खड़े हो गए हैं। वीरेन्द्र सहवाग के भारतीय टीम के कोच पद के लिए अनिल कुंबले को चुनौती देने के पीछे वजह जो भी लेकिन कुछ अजीब सा लग रहा है।

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कुछ इस तरह अनिल कुंबले ने सहवाग के क्रिकेट करियर को फिर से स्थापित करने में की पैरवी

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भारतीय टीम के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज रहे वीरेन्द्र सहवाग ने भारतीय टीम में अपना अहम योगदान दिया है, सहवाग भले ही 2013 तक अपना क्रिकेट करियर खिंचने में कामयाब रहे, लेकिन साल 2007 में वीरेन्द्र सहवाग के क्रिकेट करियर पर विराम लगने वाला था। बात उस समय की है जब साल 2006-07 में वीरेन्द्र सहवाग को खराब प्रदर्शन और फिटनेस की समस्या के लेकर भारतीय टीम से बाहर कर दिया था। सहवाग उस समय भारतीय टीम के उप-कप्तान थे और उन्हें आने वाले समय में कप्तान के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन सहवाग को वनडे के साथ ही टेस्ट मैचों से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया जिससे सहवाग के करियर पर खतरा मंडराने लगा।

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भारतीय टीम अनिल कुंबले की कप्तानी में साल 2007-08 में ऑस्ट्रेलिया के लंबे दौरे पर जाने वाली थी। भारतीय टीम के संभावित 30 सदस्यों में वीरेन्द्र सहवाग को चयनकर्ताओं ने नजरअंदाज कर दिया। इससे सहवाग के करियर पर लगभग खत्म माना जाने लगा। ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रवाना होने से पहले कप्तान अनिल कुंबले सहवाग के लिए मानों देवदूत बनकर उतर आए और अचानक से ही सहवाग को टीम में चुने जाने की मांग की। इससे क्रिकेट प्रशंसक भी अचरज में पड़ गए कि जो खिलाड़ी संभावित 30 सदस्यों  में नहीं है वो अंतिम 16 में कैसे आ गया।

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फिर क्या हुआ आखिरकार वीरेन्द्र सहवाग को ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम के साथ ले गए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई चार टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले दो टेस्ट मैचों में वीरेन्द्र सहवाग को बाहर ही बैठना पड़ा। इसके बाद तीसरे टेस्ट मैच में कप्तान अनिल कुंबले ने सहवाग को मौका क्या दिया उनके करियर को बदल कर रख दिया। पर्थ में मिले मौके पर वीरेन्द्र सहवाग ने जबरदस्त वापसी की इस टेस्ट मैच की पहली पारी में सहवाग ने 29 रन बनाए और दूसरी पारी में 43 रन बनाएं साथ ही दूसरी पारी में गेंदबाजी करते हुए दो महत्वपूर्ण विकेट भी लिए और भारतीय टीम ने पर्थ टेस्ट को अपने नाम किया। इसके बाद अगले टेस्ट मैच में सहवाग ने 63 और 151 रनों की पारी खेलकर अपने करियर को एक बार फिर से गति दे दी।

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ऐसे में ये तो कहा जाएगा कि अनिल कुंबले ने वीरेन्द्र सहवाग के करियर को एक बार फिर से परवान चढ़ाने में अपनी भूमिका निभायी। सहवाग खुद अनिल कुंबले को इसके लिए कई बार श्रेय दे चुकें हैं फिर सहवाग की ऐसा क्या मजबूरी आ गई कि उन्हें कुंबले के सामनें कोच पद के लिए उतरना पड़ा।

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