ये कारण बताते है सचिन तेंदुलकर है दुनिया के सबसे स्वार्थी क्रिकेटर! 1

क्रिकेट के इतिहास में खिलाड़ियों की एक-दूसरे से तुलना होना आम बात है। वैसे तुलना होना खिलाड़ियों की अपनी काबिलियत  पर निर्भर करता है। किसी दौर में या पूरे इतिहास को देखते हुए कई क्रिकेटर अपने-अपने दौर के सबसे बड़े खिलाड़ी हुए है।

इसी तरह भारत के महान बल्लेबाज सचिन रमेश तेंदुलकर… इस बल्लेबाज ने लगभग दो दशक तक विश्व क्रिकेट में अपनी बल्लेबाजी की ऐसी छाप छोड़ी की इस छोटे कद के क्रिकेटर भारत के सचिन का विश्व क्रिकेट में बहुत बड़ा कद हो गया। सचिन ने अपने दौर में क्रिकेट के लगभग हर किर्तिमान अपने नाम किए है ।इन खिलाड़ियों की मिलती जुलती शक्ल देख कोई भी हैरान रह सकता हैं, देखे कौन है धोनी और सचिन के हमशक्ल

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हम सभी जानते है कि सचिन ने वनडे क्रिकेट में 49 शतक जड़े है। इनमें से उनके 33 शतकों में भारतीय टीम को जीत हासिल हुई है। एक शतक का मैच परिणाम टाई रहा और 1 शतक में मैच में कोई नतीजा निकल सका। यानि ये हुआ कि सचिन के 14 शतक में टीम को हार का सामना करना पड़ा।

सचिन के इन 14 शतक के मैचों की बात करें तो उनका एक शतक ऐसा रहा जिस मैच में एक और बल्लेबाज ने भी शतक जमाया था और सचिन के इनमें से 6 शतक ऐसे रहे जिसमें टीम के दूसरे बल्लेबाज में कोई भी 50 का आंकड़ा पार नहीं कर पाए थे। और 14 में से बचे 7 मैचों में टीम के साथी बल्लेबाज 50 का आंकड़ा पार कर पाए।

सचिन को हमेशा नर्वस नाइनटिज में बेहद धीमी बल्लेबाजी करने की बात होती रहती है, लेकिन ऐसा नहीं है। लगभग विश्व के तमाम बल्लेबाज इस स्थिति में धीमा जरूर होते है। आखिर ये एक मील का पत्थर जो है। और आप हर किसी से ये उम्मीद नहीं कर सकते कि वो विरेन्द्र सहवाग जैसा खेलकर अपना शतक पूरा करे। लेकिन सचिन अपने शतक के बाद अपनी स्ट्राइक रेट को वापस से बना देते है। महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए महान सचिन तेंदुलकर ने दिया दिल को छू लेने वाला संदेश

अगर सचिन के शतक में स्ट्राइक रेट की बात करें तो उनके 22 शतक ऐसे है जिनमें उनका स्ट्राइक रेट 100 से ज्यादा का रहता है और उनके 11 शतक ऐसे है जिनमें 90 से ज्यादा का स्ट्राइक रेट रहा है।

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सचिन ने 24 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेला है। इतने समय तक सचिन इंटरनेशनल क्रिकेट कैसे खेल पाए तो इसका सीधा सा जवाब है। उनमें अपने देश के लिए खेलने की जबरदस्त भूख थी। और इतने साल तक क्रिकेट खेलना कोई मजाक नहीं होता। इस दौरान अपनी फिटनेस को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है।

सचिन के खेल की बात करें तो वो अपने दौर के सबसे बड़े प्रेरणादायक रहे है। धोनी और विराट कोहली जैसे खिलाड़ियों के लिए और ये दोनों खिलाड़ी भारत के कप्तान बने और इनमे से धोनी की कप्तानी में सचिन ने क्रिकेट खेला।

ऐसे में इतने तथ्यों को जानने के बाद क्या हम सचिन को स्वार्थी खिलाड़ी समझेंगे… नहीं सचिन कभी भी स्वार्थी खिलाड़ी नहीं रहे है। वो सिर्फ और सिर्फ निस्वार्थ भाव से देश के लिए खेलते रहे।विराट कोहली ने मात्र 9 साल में रच डाला वो इतिहास जो सचिन, धोनी अपने पुरे करियर में ना कर सके

इसके सबूत को तौर पर आपको इतिहास के गलियारो में ले चलते है। आपको याद है ना 1999 का चैन्नई वनडे मैच, इस मैच में सचिन ने शानदार 136 रनों की पारी खेली थी लेकिन अपनी टीम को नहीं जिता पाए। मैच के बाद सचिन को मैन ऑफ द मैच घोषित किया, लेकिन सचिन अपना मैन ऑफ द मैच लेने के लिए ड्रेसिंग रूम से नहीं आए।

इस बात से इतना तो जाहिर हो ही जाता है कि सचिन हमेशा अपने देश के लिए खेले और अपने देश की शान बने रहे।