रविवार(23 जुलाई) को लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर खेले गए महिला विश्वकप के फाइनल में मेजबान इंग्लैंड ने भारत को एक रोमांचक मुक़ाबले में 9 रनों से हराया. मैच में इंग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए नेटली साइवर के शानदार 51 रनों की मदद से निर्धारित 50 ओवरों में 228/9 का स्कोर बनाया. भारत की ओर झूलन गोस्वामी ने अपने 10 ओवरों में 3 मैडन ओवरों सहित महज 23 रन देकर 3 विकेट हासिल किये.
जवाब में, भारत की शुरुआत बेहद ख़राब रही और सलामी बल्लेबाज़ मंधाना बिना रन बनाकर पवेलियन लौटी, जिसकी बाद पूनम राउत और कप्तान मिताली ने पारी को संभाला और राज के 17 रनों पर आउट होने बाद कौर ओए राउत के बीच 95 रनों की शानदार साझेदारी हुई. कौर के 51 रनों पर आउट होने के बाद मैच का रुख बदल गया. मैच में इस समय भारत को 44 गेंदों पर महज 38 रनों की दरकार थी और 7 विकेट बाक़ी थी, इसके बावजूद भारत की टीम 9 रनों से मैच हार गई.
इंग्लैंड की गेंदबाज़ अन्या श्राब्सोल मैच की ओर हीरो रही. श्राब्सोल ने 9.4 ओवरों में 48 रन देकर 6 विकेट हासिल किये.
इस लेख हम भारत की 5 ऐसी खिलाड़ियों के बारे में जानेगे, जिनकी गलतियों की वजह से भारत का विश्वकप जीतने का सपना अधुरा रह गया:-
स्मृति मंधाना
भारत की सलामी बल्लेबाज़ स्मृति मंधाना ने विश्वकप के शुरूआती 2 मैचो में 90 और 106 रनों की शानदार पारी खेली, हालाँकि इस बाद से मंधाना का बल्ला लगातार 7 पारियों में शांत रहा हैं. टूर्नामेंट के शुरूआती 2 मैचो में मैन ऑफ़ द मैच जीतने वाली स्मृति मंधाना अगली 7 पारियों की दहाई का आंकड़ा तक चुने में कामयाब नहीं हुई.
भारत की कप्तान मिताली राज को युवा सलामी बल्लेबाज़ स्मृति मंधाना पर पूरा भरोसा था, जिसके कारण उन्हें लगातार मौके मिले, लेकिन मंधाना ने अपने प्रदर्शन से निराश किया. मंधाना एक बेहद आक्रामक बल्लेबाज़ मानी जाती हैं, लगातार नाकाम होने के बाद भी मंधाना ने अपनी तकनीक में कोई बदलाव नहीं किया, जिसके कारण वह फाइनल जैसे अहम मुक़ाबले में तो खाता खोलने में भी नाकाम रही. शुरूआती 2 मैचो में 196 रन बनाने वाली मंधाना ने विश्वकप 2017 में 9 पारियों में केवल 232 रन बनायें.
हरमनप्रीत कौर
गतविजेता ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध सेमी-फाइनल में शानदार 115 गेंदों पर 7 छक्को की मदद से नाबाद 171 रनों की यादगार पारी खेलने वाली हरमनप्रीत कौर ने मेजबान इंग्लैंड के विरुद्ध भी अच्छी बल्लेबाज़ी की और 80 गेंदों पर 51 रनों की पारी खेली.
कौर ने फाइनल में शुरूआती झटके लगने के बाद भारतीय टीम को संकट से उभारा, लेकिन जिस अंदाज़ में वो आउट हुई, उसे देखकर क्रिकेट फैन्स बेहद निराश हैं. महत्वपूर्ण मैच में हरमनप्रीत जैसी होनहार खिलाड़ी से गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलकर बाउंड्री पर आउट होने की उम्मीद नहीं थी. मैच में जिस समय राउत और कौर बल्लेबाज़ी कर रही थी, तब हालत भारत के पक्ष में थे, लेकिन कौर के गलत शॉट पर आउट होने के बाद मैच का रुख बदल गया.
सुषमा वर्मा
24 वर्षीय सुषमा वर्मा भारतीय टीम की विकेटकीपर बल्लेबाज़ हैं. वर्मा ने विश्वकप 2017 में शानदार विकेटकीपिंग की, टूर्नामेंट में उनकी बल्लेबाज़ी की बात करे तो पुरे टूर्नामेंट में सुषमा का बल्ला शांत रहा.
सुषमा वर्मा ने टूर्नामेंट के 9 मैचो की 6 पारियों में महज 51 रन बनायें, सुषमा की लगातार नाकामी भी भारत के लिए बड़ा सरदर्द रही. सलामी बल्लेबाज़ पूनम राउत के आउट होने के बाद सुषमा बल्लेबाज़ी करने आई और महज 2 गेंदों पर सामना करके बिना कोई रन बनाये पवेलियन लौटी. सुषमा फाइनल में इंग्लैंड की स्पिनर एलेक्स हार्टले की स्पिन गेंद पर स्वीप शॉट खेलने के प्रयास में बोल्ड हुई. सुषमा के आउट होने के बाद भारत पर दवाब काफ़ी बढ़ गया और एक के बाद एक लगातार विकेट गिरते रहे.
वेदा कृष्णमूर्ति
वेदा कृष्णमूर्ति ने फाइनल में एक अच्छी पारी खेली, उसके बावजूद वह फाइनल में हार की सबसे बड़ी मुजरिम रही. कृष्णमूर्ति ने मैच के दौरान सबसे बड़ी गलती तब की जब अंपायर ने पूनम को एलबीडब्ल्यू आउट दिया, लेकिन रिव्यू लेने के फ़ैसले के लिए उन्होंने 15 सेकेंड से ज्यादा का समय लगा दिया, जिसके बाद अंपायर ने पूनम को रिव्यू देने से माना कर दिया.
इसके बाद एक गलती उन्होंने तब की जब वह अच्छी लय मे दिख रही थी और 34 गेंद में 35 रन बनाकर खेल रही थी, इस के बावजूद लगातार 2 विकेट गिरने के बाद भी उन्होंने रन बनाने के लिए जल्दबाज़ी दिखाई और अपना विकेट इंग्लैंड को फ्री में दे दिया. जिस समय वेदा आउट हुईं उस समय भारत को जीत के लिए 34 गेंद में 29 रन बनाने थे.
दीप्ति शर्मा
लॉर्ड्स में खेले गए फाइनल मुक़ाबले में दीप्ति शर्मा भारत की जीत की आख़िरी किरण थी. दीप्ति ने मैच में 12 गेंदों पर 14 रनों की पारी खेलकर आउट हुई. मैच के दौरान दीप्ति बेहद गैर-जिम्मेदाराना शॉट खेलकर आउट हुई. दीप्ति अगर अंत तक खेलती तो शायद नतीज़ा कुछ ओर हो सकता था. दीप्ति किस दौरान आउट हुई उस समय भारत को जीत के लिए 12 गेंदों पर 11 रनों की दरकार थी, लेकिन दीप्ति फाइनल का दवाब झेलनी में नाकाम रही और जल्दबाजी में मिड ऑफ पर कैच आउट हुई. दीप्ति के आउट होने के बाद भारत की जीत की उम्मीद खत्म हो गई थी.