आईसीसी महिला विश्व कप में महिला खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद पूर्व भारतीय क्रिकेटर आकाश चोपड़ा ने कहा कि महिला क्रिकेट पुरुष क्रिकेट के मुकाबले ज्यादा मजेदार होती है। उन्होंने कहा कि काफी दिनों के बाद महिला विश्व कप का सेमीफाइनल और फाइनल मैच देखने में इतना मजा आया। दोनों ही मैच काफी रोमांचक थे। भारतीय खिलाड़ियों ने इन दोनों नॉकआउट मैचों में शानदार खेल दिखाया। आकाश ने कहा कि किसी डिफेंडिंग चैंपियन को सेमीफाइनल जैसे नॉकआउट मुकाबले में अपनी एक बेहद लाजवाब और बड़ी पारी के बदौलत हराना बहुत बड़ी बात है। हरमनप्रीत कौर ने ऐसा कर दिखाया और इसलिए उनकी पारी मुझे पुरुष और महिला क्रिकेट के सभी नॉकआउट मुकाबले में अब तक की बेस्ट पारी लगी। हरमन की जबरदस्त खेल ने पुरे देश को उनकी बैटिंग देखने और उनके बारे में जानने के लिए मजबूर कर दिया। हालांकि वो अलग बात कि पूरे टूर्नामेंट में अच्छा खेलने के बाद भी हमारी टीम विश्व कप नहीं ला पाई लेकिन इस टीम में खेल के प्रति जबरदस्त ज़ज्बा देखने को मिला।
हरमनप्रीत ने दिखाई परिपक्वता
भारत की इस महिला क्रिकेट टीम में कप्तान मिताली और हरमन के अलावा भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने खेल से सभी को प्रभावित किया है। झूलन गोस्वामी ने अपनी प्रतिभा से साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक संख्या होती है, खेल पर उम्र का प्रभाव इतनी जल्दी नहीं हो सकता। पूनम राउत ने दिखाया कि उनके खेल में कई गियर मौजूद है, जरूरत पड़ने पर वह अपना गियर बदलने की क्षमता रखती है। वहीं सेमीफाइनल जैसे बड़े मुकाबले में हरमन की परिपक्वता तो देखने लायक थी, क्योंकि उनके सामने गत विजेता ऑस्ट्रेलिया थी और कप्तान मिताली राज उस मैच में नहीं खेल रही थी। लिहाजा उन्होंने कप्तान की जिम्मेदारी भी अपने कंधे पर उठाई और ऑस्ट्रेलिया को धूल चटा दी।
महिला विश्व कप में सभी खिलाड़ियों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
आकाश ने कहा कि ऐसा बहुत कम होता कि किसी बड़े टूर्नामेंट के मैचों में टीम के प्रत्येक खिलाड़ी ने अहम और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो, लेकिन इस महिला विश्व कप में भारत की ओर से ऐसा ही हुआ। आकाश के मुताबिक पुरुष क्रिकेट में आमतौर पर एक प्रकार का ही खेल देखने को मिलता है। बल्लेबाज गेंदबाज पर हमेशा हावी रहते हैं और इसलिए पुरुष क्रिकेट में गेंदबाज की भूमिका दिन-प्रतिदिन कम होती जा रही है। बल्लेबाजी और गेंदबाजी में यह अंतर टेस्ट क्रिकेट के बाद बाद एकदिवसीय क्रिकेट के आने के बाद आया और टी-20 फॉर्मेट आने के बाद तो बल्लेबाजी गेंदबाजी पर पूरी तरह हावी हो गई। जो दर्शक गति और आक्रमकता पसंद करते हैं वे अब आक्रमक और फटाफट क्रिकेट देखना ज्यादा पसंद करते हैं। वहीं संयम और कौशल रखने वाले दर्शक टेस्ट मैच देखना पसंद करते हैं।
महिला क्रिकेटर्स ने बोया महिला आईपीएल का बीज
पुरुष क्रिकेट के इस बदलाव का असर महिला क्रिकेट परअभी तक नहीं पड़ा है। क्योंकि महिला क्रिकेट के दर्शक अभी भी पुराने खेल की भावना से क्रिकेट को देखना पसंद करते हैं। इसका और भी कारण है, महिला क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली गेंद छोटी और हल्की होती है, वह हवा में ज्यादा स्विंग करती है और चूंकि पूरी अवधि के लिए केवल एक गेंद का उपयोग किया जाता है, इसलिए धीमी गेंदबाज बड़ी भूमिका निभाते हैं। गेंदबाज एक गेंद को बहुत ज्यादा फेंकते हैं, बल्लेबाज पैर का उपयोग बहुत ज्यादा करते हैं। यह सभी पहलू पुरुष क्रिकेट से अब गायब हो चुके हैं। खैर महिल क्रिकेट ने अभी भी असल क्रिकेट को जिंदा रखा है और लगातार बढ़ता जा रहा उनके खेल का स्तर महिला आईपीएल के लिए बोया गया बीज साबित हो सकता है।