मैच देखने के लिए मां ने ख़रीदा इन्वर्टर, टूटी झोपड़ी में पाला-पोसा, अब बेटी ने बना दिया भारत को वर्ल्ड चैंपियन 1

WU19 T20 WC Final: टीम इंडिया और इंग्लैंड की अंडर 19 टीम आज यानि 29 जनवरी को एक दूसरे से विश्व विजेता बनने को लेकर कड़ा मुकाबला करती नज़र आ रही है. साउथ अफ्रीका में चल रहे इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन कर रही है. टीम में कई युवा चेहरे नज़र आ रहे है.

उनमें से एक अर्चना देवी आलराउंडर के तौर पर टीम से साथ जुड़ी है. एक बेहद गरीब घर से ताल्लुक रखें वाली अर्चना की मान ने अपनी बेटी को देश के लिए वर्ल्ड कप (WU19 T20 WC Final) खेलते हुए देखने के लिए कई महीनों की कमी से जोड़-जोड़ कर एक इन्वर्टर खरीदा है. आइये जाने है अर्चना देवी और उनकी माँ की कहानी.

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बिजली नहीं आती तो WU19 T20 WC Final के लिए इन्वर्टर लिया है

WU19 T20 WC Final

18 साल की अर्चना यूपी के जिले उन्‍नाव के एक छोटे से गांव रतई पुरवा की रहने वाली हैं. गाँव में बिजली बेहद कम समय के लिए आती है. बेटी के फाइनल मैच (WU19 T20 WC Final) को देखने के लिए को अपने स्मार्टफोन के साथ तैयार है लेकिन उसको चार्ज करने के लिए भी बिजली का होना बेहद जरुरी है. ऐसे में बेटी के मुकाबले को देखने के लिए उन्‍होंने अपनी मेहनत को कामयाब होता देखने के लिए रुपये जोड़कर इन्‍वर्टर ख़रीदा. बता दें कि अर्चना देवी की बेटी ने वर्ल्ड कप में भारत को चैंपियन बना दिया.

सावित्री ने इंडियन एक्‍सप्रेस से बात करते हुए कहा, “हमारे गांव में बिजली की कोई गारंटी नहीं है. इसलिए मैंने इन्वर्टर खरीदने के लिए पैसे इकट्ठे किए. मेरी बेटी विश्व कप फाइनल खेलने वाली टीम में है और हम बिना किसी रुकावट के अपने मोबाइल फोन पर मैच देखना चाहते हैं.”

दूध बेचकर परिवार को पाला

मैच देखने के लिए मां ने ख़रीदा इन्वर्टर, टूटी झोपड़ी में पाला-पोसा, अब बेटी ने बना दिया भारत को वर्ल्ड चैंपियन 2

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क्रिकेटर अर्चना की जिंदगी उतार-चढ़ाव से भरी रही. पिता को काफी कम उम्र में खोने के बाद छह साल पहले उनके छोटे भाई की सांप काटने से मौत हो गई. ऐसे में उनकी माँ ने काफी मजबूती दिखाते हुए अपनी बेटो को पाल-पोस पर बड़ा किया है. अर्चना की मां सावित्री देवी अपने कठिन वक्त को याद करते हुए बताया,

‘मैंने अपने 1 एकड़ के खेत में काम किया और गुजारा करने के लिए अपनी दो गायों का दूध बेचा. लोग मुझे ताने मारते थे क्योंकि मैंने अर्चना को घर से दूर गंज मुरादाबाद के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय के छात्रावास में रहने के लिए भेज दिया था. वहां भर्ती होने से पहले बस का 30 रुपये का दैनिक किराया भी मुश्किल से जुगाड़ हो पाता था.”