धोनी के सबसे बड़े आलोचक माने जाने वाले योगराज सिंह ने अब इस बात को लेकर जताया दुःख 1

भारतीय घरेलू क्रिकेट की सबसे बड़ी घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी का आज से आगाज हो चुका है। रणजी ट्रॉफी के रण में पिछले कुछ सीजन से कई टीमों ने अपना डेब्यू किया है। उसी तरह से आज से शुरू हुई रणजी ट्रॉफी में आज से चंडिगढ़ क्रिकेट टीम ने अपना आगाज किया है। चंडिगढ़ क्रिकेट टीम आज से अपना पहला रणजी मैच खेल रही है।

चंडिगढ़ के रणजी डेब्यू पर योगराज सिंह का छलका दर्द

चंडिगढ़ से भारतीय क्रिकेट टीम को कई बड़े खिलाड़ी मिले जिसमें युवराज सिंह से लेकर कपिल देव जैसे दिग्गज खिलाड़ी रहे तो साथ ही चंडिगढ़ से ही युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह भी निकले।

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आज जब रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में चंडिगढ़ की टीम ने अपना प्रथम श्रेणी क्रिकेट का डेब्यू किया तो युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह का दर्द चंडिगढ़ क्रिकेट को दर्जा पहले नहीं देने के कारण छलका।

चंडिगढ़ की टीम उस दौर में होती तो जीत लेती 5 खिताब

योगराज सिंह ने सोमवार से शुरू हुए रणजी टूर्नामेंट में चंडिगढ़ टीम के डेब्यू के बाद इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात करते हुए कहा कि “वो क्रिकेटर नहीं बनना चाहते थे। वो एथलेटिक्स और फुटबॉल में अच्छे थे और स्कूल में भी यही खेल खेलते थे। एक बार कोच डीपी आजाद उनके स्कूल आए थे और आजाद ने उनके कोच और फादर से उन्हें क्रिकेट में भेजने को कहा, वो एक टेलेंट हंट करवा रहे थे और ट्रेनिंग सेक्टर 16 स्टेडियम में हो रही थी। “

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“उनके साथ कपिल देव, चंदर विजय, अरुण चौधरी, मंजीत सिंह को चुना गया। सभी ने क्रिकेट की ट्रेनिंग शुरू की और इसके बाद एक समय ऐसा आया कि चंडिगढ़ के नौ खिलाड़ी हरियाणा की प्लेइंग इलेवन में थे। बाकी वे लोग चंडिगढ़ से रह गए। अगर उस समय चंडिगढ़ रणजी टीम को मान्यता मिली होती तो ये टीम कम से कम लाइन से पांच बार खिताब जीत लेती। चंडिगढ़ पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के लिए कन्वेयर था। चंडिगढ़ जिसा एसोसिएशन के मतभेदों के कारण वहां के क्रिकेटर्स को परेशानी का सामना करना पड़ा था।”

हमसे किया जाता था बाहरी लोगों जैसा व्यवहार

योगराज सिंह ने आगे कहा कि “हरियाणा और पंजाब से मान्यता प्राप्त एसोसिएशन खिलाड़ियों को बिना किसी मेरिट के चुनती थी। कई खिलाड़ियों को इससे जूझना पड़ा। और कई दूसरे राज्य में शिफ्ट हो गए।”

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“उस समय में हरियाणा के खिलाड़ी और अधिकारी हमारे साथ बाहरी लोगों की तरह व्यवहार करते थे अब इंतजार खत्म हो गया था। अब भारतीय क्रिकेट के नक्शे पर ये शहर वापस आ गए हैं और अब हमें अंडर-14, अंडर-16 प्रोग्राम के जरिए इसे मजबूत करना होगा।”