नई दिल्ली, 9 मार्च: भारत की प्राथमिक फुटबाल लीग आई-लीग के क्लब मिनर्वा पंजाब के मालिक रंजीत बजाज का मानना है कि अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने भारतीय फुटबाल और लीग के क्लबों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। उनका यहां तक भी मानना है कि अगर इसी तरह से चलता रहा तो भारतीय फुटबाल धीरे-धीरे मर जाएगी।
बजाज ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने दो बार एआईएफएफ अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा लेकिन अभी तक उन्हें कोई जबाव नहीं मिला।
उन्होंने कहा, “वह हमें मिलने तक का समय नहीं दे रहे हैं। पहले पांच और फिर आठ क्लबों ने उनसे मिलने का समय मांगा था जिसमें मोहन बागान और ईस्ट बंगाल भी शामिल हैं।”
बजाज के मुताबिक, “मुझे लगता है कि ईस्ट बंगाल और मोहन बागान के अधिकारियों को कहना चाहिए कि अगर आप हमें सम्मान नहीं देते हो, न ही आपके पास हमसे मिलने का समय है तो आपको क्यों लगता है कि हमें आपके साथ आना चाहिए।”
बजाज का कहना है कि अगर इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) को देश की शीर्ष लीग का दर्जा दे दिया जाता है तो फिर निष्कासन और प्रमोशन की प्रक्रिया को जल्द ही सुलझाना होगा क्योंकि पैसे के फायदे के लिए खेल के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, “देखिए मुद्दा यह है कि फुटबाल को हमेशा मेरिट पर नापा गया है। बेहतर टीम को बने रहना चाहिए और अगर वह एक लीग चाहते हैं तो फिर प्रमोशन और निष्कासन की प्रक्रिया पर भी ध्यान देना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “हमें इससे भी कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि हमारे पास मौका है। क्या हमसे यह कहना उचित होगा कि आप शीर्ष लीग का हिस्सा नहीं बन सकते और प्रमोशन तथा निष्कासन की प्रक्रिया नहीं होगी।”
बकौल बजाज, “एक टीम दूसरी डिवीजन से तीसरी डिविजन में आ सकती है, लेकिन आप सीधे शीर्ष डिवीजन में नहीं आ सकते। इससे खेल का मजाक बनेगा।”
उन्होंने अपनी बात को समझाते हुए कहा कि अगर चेन्नई सिटी एफसी इस साल आई-लीग का विजेता बन जाती है तो वह अगले साल एशियन चैम्पियनशिप में भारत का प्रधिनिधित्व करेगी, लेकिन भारत में वह दूसरी डिवीजन में खेलेगी क्योंकि वह डिवीजन एक में खेलने की फीस नहीं दे सकती।
बजाज के मुताबिक यह बहुत दुखद बात है।
उन्होंने कहा, “अंत में वह यह कहना चाहते हैं कि शीर्ष लीग में जो टीमें खेलेंगी वह मेरिट पर नहीं चुनी जाएंगी बल्कि उनका चुनाव पैसे के आधार पर होगा कि किसके पास कितना ज्यादा पैसा है। अगर आपके पास 15 करोड़ रुपये हैं तो आप खेल सकते हैं। वहीं आप खेलने में सक्षम हैं लेकिन आपके पास 15 करोड़ रुपये नहीं हैं तो आप नहीं खेल सकते।”
बजाज के मुताबिक, “याद रखिए यह 15 करोड़ महासंघ को नहीं जाएंगे यह एक निजी कंपनी के पास जाएंगे। एआईएफएफ बिक गई है। एआईएफएफ ने अपनी आत्मा बेच दी है, उसने भारतीय फुटबाल को बेच दिया है। उसने सब कुछ सालाना 70 करोड़ रुपये में बेच दिया है। उन्होंने पहले टेन स्पोटर्स और जी स्पोटर्स के साथ करार किया था।”
उन्होंने कहा, “वह साल के 50 करोड़ रुपये दे रहे थे वो सिर्फ आई-लीग के मार्केटिग अधिकार हासिल करने के लिए और इससे सिर्फ 20 करोड़ ज्यादा में उन्होंने सब कुछ बेच दिया।”