गोवा में यूरो कप खिताब के जश्न पर राष्ट्रवाद की छाया 1
The European soccer championships trophy is put on display before a press conference to mark the hundred days to go before the start of Euro 2016 soccer tournament, in Paris, Wednesday, March 2, 2016. (AP Photo/Christophe Ena)

पणजी, 12 जुलाई (आईएएनएस)| फ्रांस की मेजबानी में रविवार को संपन्न हुए यूरोपियन फुटबाल चैम्पियनशिप-2016 में पुर्तगाल विजेता बनकर उभरा। पुर्तगाल ने फाइनल मुकाबले में फ्रांस को 1-0 से हराकर अपना पहला यूरो कप खिताब हासिल किया, हालांकि इस जीत ने यहां गोवा में विवाद पैदा कर दिया है। पुर्तगाल का उपनिवेश रह चुके गोवा में फ्रांस की हार के साथ ही खुशी की लहर दौड़ पड़ी और अपने मनोहर समुद्र तट के लिए पर्यटकों के बीच विख्यात शहर के शराबखानों और सार्वजनिक स्थलों पर जश्न का माहौल छा गया।

सोशल मीडिया पर भी गोवावासियों ने पुर्तगाल की यूरो कप खिताब जीत का जमकर जश्न मनाया, हालांकि जश्न के बीच दोहरी नागरिकता और बातचीत की भाषा जैसे मुद्दों ने माहौल को थोड़ा व्यंग्यात्मक भी बना दिया।

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यूरो कप के फाइनल मैच के बाद सोशल मीडिया पर राजनीतिक टिप्पणियां भी जमकर हुईं, जिनमें वकील और विधायक राधाराव गार्सिया का गोववासियों के समर्थन में किया गया पोस्ट भी शामिल है।

गार्सिया ने अपनी टिप्पणी में पुर्तगाल की जीत पर जश्न मना रहे गोवावासियों की आलोचना करने वाले लोगों पर निशाना साधा।

गार्सिया ने लिखा, “फुटबाल प्रेमियों के पास सिर्फ दो ही विकल्प थे, या तो वे पुर्तगाल का समर्थन करते या फ्रांस का। इसके अलावा कोई विकल्प ही नहीं था। अचानक चारो ओर से (खासकर संघ परिवार की ओर से) गोवावासियों द्वारा पुर्तगाल का समर्थन करने पर उन्हें ‘राष्ट्रविरोधी’ कहा जाने लगा।”

उल्लेखनीय है कि गोवा 451 वर्षो तक पुर्तगाल का उपनिवेश रहा है और 1961 में भारतीय सेना ने उसे आजादी दिलाई।

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दोहरी नागरिकता को लेकर की गईं उत्तेजक टिप्पणियों ने खासकर यहां राष्ट्रवाद की भावना को भड़काने का काम किया। पूरी बहस उन हजारों गोवावासियों के भविष्य को लेकर थी, जिन्होंने पुर्तगाल की नागरिकता को चुना है।

उल्लेखनीय है कि पुर्तगाल के कानून के मुताबिक गोवा में जन्मे पुर्तगाल मूल के व्यक्ति को पुर्तगाल की नागरिकता मिल जाती है।

अब केंद्रीय गृह मंत्रालय चाहता है कि पुर्तगाल में जाकर बस गए गोवावासी भारत या पुर्तगाल में से किसी एक देश की नागरिकता अपना लें। यहां तक कि गोवा स्वतंत्रता सेनानी संघ के प्रवक्ता नागेश करमाली चाहते हैं कि गोवा से पुर्तगाल दूतावास कहीं और स्थानांतरित किया जाए।

करमाली का कहना है, “पुर्तगाल गोवावासियों को इस तरह नहीं फुसला सकता। वे गोवावासियों को पुर्तगाल की नागरिकता देकर हमें अस्थीर करने की कोशिश कर रहे हैं।”

गोवा के प्राथमिक स्कूलों में शीक्षा का माध्यम अंग्रेजी हो या स्थानीय भाषा, लंबे समय से चली आ रही इस बहस ने भी राष्ट्रवादी भावना को भड़काने का काम किया है। स्थानीय भाषा की हिमायत करने वाले लोग गोवा की चर्चो पर गोवा में विदेशी खासकर यूरोपीय प्रभाव लादने को लेकर हमले करते रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर शुद्धतावादी धड़े के गोवा मूल के पुर्तगाली नागरिक मेनिनो फर्नाडीज ईडर की गोल से यूरो कप में मिली खिताबी जीत को गर्व की बात मानते हैं।

फर्नाडीज ने आईएएनएस से कहा, “मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरे देश पुर्तगाल ने शानदार अंदाज में खेलते हुए यह उपलब्धि हासिल की। उन्होंने बेहद आत्मविश्वास से दमदार खेल दिखाया। डिफेंस और अटैक दोनों में वे शानदार रहे और ईडर ने आखिरकार हमें विजेता बनाया।”

हालांकि गोवा में फर्नाडीज से इतर विचार रखने वाले लोग भी हैं। काफी कुछ पहले भी कहा जा चुका है, लेकिन पुर्तगाल के प्रति गोवा की दीवानगी पहले भी थी और रोनाल्डो के रहते आगे भी रहने वाली है।