सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी को मौजूदा युग में गोल्डन बूट से नवाज़ा जाता है। हालाँकि 1982 से पूर्व ऐसा कोई अवार्ड किसी खिलाड़ी को नहीं दिया जाता था।
1982 में हुई ‘गोल्डन शू’ की शुरुआत
1982 में सबसे पहले ‘गोल्डन शू’ अवार्ड, इटली के पाओलो रौसी को नसीब हुआ। जहाँ इस खिलाड़ी ने 6 गोल कर गोल्डन शू जीता। यह भी एक सच है कि कभी भी कोई खिलाड़ी, दो बार गोल्डन शू/गोल्डन बूट अवार्ड नहीं जीत सका है।
इस बार भी ऐसा कोई खिलाड़ी इस अवार्ड की दौड़ में नहीं है जो इसे दोबारा जीत सके।
2010 में गोल्डन शू बदल गया गोल्डन बूट में
2010 में गोल्डन शू को गोल्डन बूट की संज्ञा प्रदान की गयी। पहली बार थॉमस म्यूलर ने 2010 में पांच गोल कर यह ख़िताब जीता। वहीँ 2014 में यह कोलम्बिया के जेम्स रोड्रीगेज़ ने जीता।
अब इस विश्व कप में इंग्लैंड के कप्तान, हैरी केन इस फेहरिस्त में पांच गोल के साथ सबसे ऊपर चल रहे हैं। संभव ही बड़ी टीमों के बाहर हो जाने से इंग्लैंड की फाइनल तक की राह कुछ हद तक आसान हो गयी है।
केवल दूसरे ब्रिटिश खिलाड़ी बन रकॉर्ड कायम कर सकते हैं
बता दें कि गैरी लिनिकर,पहले ब्रिटिश खिलाड़ी हैं जिन्होंने यह अवार्ड जीता। 1986 विश्व कप में वे 6 गोल दाग इस लिस्ट में सबसे ऊपर रहे।
अब 32 साल बाद एक और इंग्लिश खिलाड़ी इस दौड़ में शामिल है। वह कोई और नहीं बल्कि इंग्लैंड का कप्तान हैरी केन है। यदि यह खिलाड़ी इस विश्व कप में चार गोल और करता है। तो गोल्डन शू/गोल्डन बूट के इतिहास में सबसे ज्यादा गोल कर यह अवार्ड जीतने वाला खिलाड़ी बन जायेगा।
ब्राज़ील के ‘रोनाल्डो डी लिमा’ को पछाड़ पा सकते हैं गद्दी
ब्राज़ील के रोनाल्डो डी लिमा ने 2002 विश्व कप में कुल 8 गोल कर यह अवार्ड जीता। जिससे हैरी केन केवल तीन गोल पीछे हैं।हैरी केन न केवल दूसरे ब्रिटिश खिलाड़ी बल्कि गोल्डन बूट अवार्ड के इतिहास में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बन जायेंगे।
हालाँकि जब गोल्डन बूट अवार्ड जैसी कोई चीज़ नहीं थी। तब एक विश्व कप में सबसे ज्यादा गोल करने का रिकॉर्ड, फ्रांस के पूर्व फुटबॉलर, जस्ट फोंटेन ने अपने नाम किया। जिन्होंने 1958 विश्व कप में 13 गोल दागे, जो आज तक भी एक रिकॉर्ड है।