3000 साल पहले दुश्मनों के कटे सिर से खेला जाता था फूटबॉल, जाने अब तक कितने प्रकार के गेंद का हो चूका है उपयोग 1

स्पोर्ट्स के क्रेज़ की बात करें तो सभी में सबसे ज्यादा क्रेज़ क्रिकेट का देखने को मिलता है. इसका हर मैच हर सीरीज काफी शानदार साबित होती है. साथ ही सभी को 2019 में होने वाले वर्ल्ड कप चैंपियनशिप का बेसब्री से इंतज़ार है, लेकिन उससे पहले फुटबॉल की वर्ल्ड कप सीरीज शुरू होने वाली है. यह 21वां फुटबॉल वर्ल्ड कप होगा.

फुटबॉल वर्ल्ड कप को ‘मदर ऑफ ऑल बॉल’ भी कहा जाता है. 14 जून से 32 देशों की टीमें खिताब के लिए आपस में भिड़ेंगी. रूस में होने वाले इस टूर्नामेंट में पहली बार वीडियो असिस्टेंट रेफरी का इस्तेमाल किया जाएगा. सभी मैच चिप लगी ‘टेलस्टार-18’ बॉल से खेले जाएंगे.

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इसे फीफा की पार्टनर कंपनी और 1970 से वर्ल्ड कप में बॉल सप्लाई कर रही एडिडास ने डिजाइन किया है. 32 दिन चलने वाले टूर्नामेंट का फाइनल 15 जुलाई को होगा. मेजबान रूस ने इस टूर्नामेंट के आयोजन पर 12 हजार करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

3 हजार साल पुराना है फूटबाल का इतिहास 

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फुटबॉल का इतिहास करीब 3 हजार पुराना माना जाता है. तब फुटबॉल जैसा एक खेल खेला जाता था, जिसमें बॉल के तौर पर दुश्मनों का कटा सिर इस्तेमाल किया जाता था. भले ही इस वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की फुटबॉल टीम नहीं है. लेकिन उसके लिए खुशी की बात ये है कि दुनिया के इस सबसे बड़े खेल इवेंट में से पकिस्तान में बनी बॉल का इस्तेमाल होगा. टेलस्टार-18 का प्रोडक्शन पाकिस्तान के सियालकोट स्थित कंपनी फॉरवर्ड स्पोर्ट्स ने किया है. यह कंपनी बॉल बनाने के लिए दुनियाभर में मशहूर है.

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ग्लासगो म्यूजियम में रखी है सबसे पुरानी फुटबॉल

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दुनिया की सबसे पुरानी फुटबॉल और ट्रॉफी स्कॉटलैंड के ग्लासगो म्यूजियम में रखी है. ये बॉल इंग्लैंड स्टर्लिंग कैसल के क्वीन चैंबर में मिली थी. माना जाता है कि यह 1540 के दशक में बनी थी. इसे बनाने में चमड़े का इस्तेमाल हुआ था.

फुटबॉल की सबसे पुरानी बॉल करीब साढ़े चार सौ साल पहले की उपलब्ध है, लेकिन फुटबॉल का इतिहास करीब तीन हजार साल पुराना है. पहले युद्ध जीतने पर विरोधियों के कटे हुए सिर को किक करने जैसा खेल प्रचलन में था.

ऐतिहासिक संदर्भों से जो तथ्य मिलते हैं, उसके मुताबिक बॉल के तौर पर मानव या जानवरों की खोपड़ी, जानवरों के ब्लाडर, कपड़ों को सिल कर बनाए गट्‌ठर का इस्तेमाल होता रहा है.

कुछ इस प्रकार किया गया है बॉल में परिवर्तन 

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1836 में ब्रिटेन के चार्ल्स गुडईयर ने पहली बार जानवर के ब्लॉडर की जगह रबर की गेंद बनाई. उन्होंने इसका पेटेंट भी कराया था. 1938 में एलन बॉल आई. पहली बार किसी कंपनी ने वर्ल्ड कप में बॉल की ब्रांडिंग की. 1970 में टेलस्टार आई. ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर गेंद बेहतर तरीके से दिखे, इसलिए ब्लैक एंड व्हाइट बॉल बनाई.

1974 में डरलास्ट, 1978, 1982 में टैंगो बॉल आई. 1986 एजटेका आई. 1990 में यूनिको, 1994 में क्वेस्त्रा, 1998 में ट्राई कलर, 2002 में फेवरनोवा, 2006 में टीम जीस्ट का इस्तेमाल हुआ.

2010 में जबुलानी आई. इसमें 8 पैनल थे. इससे शॉट की ट्रैजेक्टरी का अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया. जिसके बाद गोलकीपर इसका बहिष्कार करने लगे, तो 2014 में ब्रजूका बॉल लाई गई.