हमारे भारत में एक गाना है जो अकसर भारतीय फुटबॉल फैंस मैदान पर अपनी टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए एक साथ गाया करते है। हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब…. एक दिन…., ओ हो मन में है विश्वास ….पूरा है विश्वास ….हम होंगे कामयाब एक दिन…..। हिंदी के इन शब्दों से जरूर क्रोएशियाई खिलाड़ी वाकिफ़ न हो लेकिन उनके मन की दशा इस विश्वकप कुछ ऐसी ही रही होंगी। 4.1 मिलियन का यह देश 28 मिलियन डॉलर जीत अपने स्वदेश जा रहा है। यह मन में विश्वास ही था जो क्रोएशिया 1950 के बाद विश्व का सबसे कम जनसंख्या वाला देश बना, जिसने विश्वकप फाइनल में अपनी जगह बनाई। जरूर 1998 की विजेता रही फ्रांस 2018 विश्वकप अपने संग ले जा रही हो। लेकिन दर्शकों का दिल जीतने में क्रोएशिया आगे रहा। आइए एक नजर डालते है कि इस विश्वकप किस टीम के खाते कितनी राशि गई।
पिछले विश्वकप से 42 मिलियन डॉलर ज्यादा खर्च किया गया प्राइज मनी पर
इस साल 32 टीमों के बीच कुल 400 मिलियन डॉलर खर्च किया गया। पिछले 2014 विश्वकप के मुकाबले यह राशि 42 मिलियन डॉलर अधिक है। 2014 विश्वकप में कुल टीमों में बांटी गई रकम 358 मिलियन डॉलर थी। अगर कुल खर्चे की बात की जाए तो इस बरस 2014 विश्वकप के मुकाबले 60% से ऊपर खर्चा बढ़ा है और टीमों के बीच बंटवारे की रकम 12% तक बढ़ाई गई है।
किस टीम को कितनी प्राइज मनी दी गई
कुल 32 टीमों ने इस मुकाबले में क्वालीफाई कर हिस्सा लिया। कुछ टीमें पहले से ही विश्वकप की स्थाई टीमें है और कुछ विश्वकप 2018 का क्वालीफ़ायर खेल यहाँ तक पहुंची।
इन 32 टीमों के बीच विश्वकप फाइनल से पहले कुल 4 राउंड खेले गए। पहला ग्रुप स्टेज जिसमें ग्रुप की प्रबल दो टीमें आगे बढ़ी। दूसरा राउंड ऑफ 16 जिसमें 8 टीमें बाहर हुई। तीसरा क्वाटर फाइनल्स, फिर सेमीफाइनल्स और अंत में विश्वकप 2018 का फाइनल मुकाबला।
ग्रुप स्टेज
ग्रुप स्टेज से निकलने वाली टीमों के लिए कुल मुद्रा थी 128 मिलियन डॉलर। यानी ग्रुप स्टेज में कुल 32 टीमों में से अपने ग्रुप की टॉप दो टीमों को आगे जाना था। यानी कुल 16 टीमें बाहर होनी थी। यानी अगर 128 को 16 से भागा दे दे, तो एक टीम के खाते में 8 मिलियन डॉलर जाता है। इसके अलावा ग्रुप स्टेज से बाहर हुई टीमों को विश्वकप तैयारी के खर्चे को ध्यान रखते 1.5 मिलियन डॉलर अलग से भी दिए गए। तो बात साफ है कि पहले दौर में ही बाहर हुई टीमों को कुल 9.5 मिलियन डॉलर दिया गया।
राउंड ऑफ 16
इस राउंड में पहुँची टीमों के लिए कुल रकम 96 मिलियन डॉलर था। यहाँ से कुल 8 टीमें आगे क्वाटर फाइनल्स को गई। यानी 8 टीमें अपने स्वदेश वापस लौट गई। यानी अगर 96 को 8 से भागा दिया जाए तो एक टीम के खाते में 12 मिलियन डॉलर आए।
क्वाटर फाइनल्स
इस दौर में कुल 8 टीमें आई। यानी इस दौर से चार टीमें जीत कर सेमीफाइनल के लिए प्रवेश की। बाकी चार टीमों ने बाहर का रास्ता देखा। इस दौर से बाहर हुई टीमों के लिए कुल मुद्रा 64 मिलियन डॉलर था। अगर 4 से 64 को भागा दिया जाए तो एक टीम के खाते में आते है 16 मिलियन डॉलर।
इसके बाद की सभी टीमों की विनिंग प्राइज अलग-अलग सुनिश्चित की गई थी
4th प्लेस- इंग्लैंड- 22 मिलियन डॉलर
3rd प्लेस- बेल्जियम- 24 मिलियन डॉलर
2nd प्लेस – क्रोएशिया- 28 मिलियन डॉलर
1st प्लेस- फ्रांस – 38 मिलियन डॉलर
आपको यह भी बता दे कि 20 मिलियन डॉलर के करीब की रही विश्वकप ट्राफी ।
इसके अलावा इस विश्वकप खिलाड़ियों की मेहनत को ध्यान रखते हुए कुछ ट्रॉफी भी सुनिश्चित की गई थी
1. गोल्डन बूट
इस साल इंग्लैंड जरूर चौथे स्थान पर रही हो। लेकिन उनके कप्तान हैरी कैन के नाम जस साल का गोल्डेन बूट अवार्ड रहा।
2. गोल्डन ग्लव्स
यह अवार्ड विश्वकप के सबसे बेहतरीन गोलकीपर को दिया जाता है। इस साल यह ट्रॉफी तीसरे स्थान पर रहे बेल्जियम के गोलकीपर थिबॉट कूरतोइस के नाम रहा।
3. गोल्डन बॉल
इस साल गोल्डन बॉल क्रोएशिया के लुका मोडरिच के नाम रहा। विश्वकप के फाइनल तक पहुंचने में इनका बड़ा योगदान था।
4. बेस्ट यंगेस्ट प्लेयर ऑफ वर्ल्डकप
यह किताब फ्रांस के टीनएजर एम्बप्पे के नाम रहा। उन्होंने विश्वकप फाइनल में इतनी कम उम्र में गोल मार अपनी प्रतिभा सबके सामने रख दी।
विश्वकप अंत होने का सबको बहुत दुख है और लोगों ने अपना दुख ट्विटर पर कुछ इस तरह दिखाया।
When you realise the World Cup is over. #WorldCupFinal pic.twitter.com/dTaVtHLFTi
— Aaron Corlett (@Aaron_Corlett) July 15, 2018