भारतीय हॉकी टीम को एक नए मुकाम पर पहुंचाने वाले पूर्व हॉकी कप्तान मोहम्मद शाहिद की पत्नी सरकारी मदद नहीं मिल पाने की वजह से पद्मश्री समेत तमाम अवॉर्ड लौटाने की तैयारी कर रही हैं. रिपोर्ट्स की माने तो दिवंगत ओलंपियन मोहम्मद शाहिद का परिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार से इन दिनों खफा है. नाराजगी की वजह है सरकार की वादा खिलाफी.
मोहम्मद शाहिद की पत्नी परवीन ने सरकार पर आरोप लगाया है कि पति की मौत के बाद सरकार की ओर से बड़े-बड़े वायदे किए गए थे, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है, जिसके कारण पूरा परिवार काफी निराश है. इसके लिए परवीन ने 20 जुलाई का दिन चुना है. बताया जा रहा है कि इसी दिन दो साल पहले मोहम्मद शाहिद का इंतकाल हुआ था. इस संबंध में पीएमओ को पत्र भी लिखा जा चुका है लेकिन इस पर कोई जवाब नहीं दिया जा सका.
Parvin Shahid, wife of deceased Indian hockey player Mohammed Shahid who was a member of the team that won gold medal at the 1980 Olympic Games, says she will go to Delhi on July 21 to return the awards won by his husband as ‘the government hasn’t fulfilled its promises’ pic.twitter.com/drYn3syw9x
— ANI UP (@ANINewsUP) July 17, 2018
बताते चलें मोहम्मद शाहिद को पद्मश्री के अलावा बेहतरीन खिलाड़ी के लिए अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया था. 1980 में रूस में आयोजित हुए ओलंपिक खेल में भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल मिला था. पूरे टूर्नामेंट में मोहम्मद शाहिद का बहुत बड़ा योगदान रहा था. ओलंपिक गोल्ड मेडल जीताने के बाद उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. 6 साल बाद 1986 में उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. काफी समय तक बीमार रहने के बाद 20 जुलाई 2016 को मोहम्मद शाहिद का निधन हो गया था.
शाहिद की बेगम परवीन ने कहा कि उनके गुजरने के बाद कई मंत्री उनके घर आए और दिलासा दे कर गए. उन्होंने वादा किया था कि शाहिद को भुलाया नहीं जाएगा, उनके नाम पर बनारस में टूर्नामेंट का आयोजन किया जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब इसी बात से नाराज होकर उन्होंने सभी अवॉर्ड लौटाने का फैसला किया है.
He was a Padma Shri,an Olympian gold medalist.But if tournament or stadium can’t be named after him, what’s point of these medals?It’s his 2nd death anniversary on July 20. Ministers came after his death&made big promises,but there’s no tournament in his name in Varanasi:P Shahid pic.twitter.com/kIxOFSQXIJ
— ANI UP (@ANINewsUP) July 17, 2018
परवीन को उम्मीद थी कि जो खर्च हो रहा है, उसका वहन सरकार करेगी. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. आज उनका परिवार जब संकट की स्थिति में है तो कोई सुन नहीं रहा. पीड़ित परिवार का कहना है कि पीएम मोदी कई बार वाराणसी आए. हमने मुलाकात का समय मांगा, लेकिन समय नहीं दिया गया. बेटे को सरकारी नौकरी का भरोसा दिया गया था, लेकिन अभी तक उसे नौकरी नहीं मिली है.परवीन का कहना है कि पति जब तक जिंदा थे तब तक हॉकी के लिए जीये लेकिन आज उनके जाने के बाद पूरा परिवार परेशान हैं और उनको पूछने वाला कोई नहीं जिसकी वजह से उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है.