22वें एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप का आयोजन करने के लिए भुवनेश्वर पहली पसंद नहीं था, क्योंकि उससे पहले झारखण्ड के शहर रांची ने इन खेलों के आयोजन के लिए बोली लगाकर अपना नाम आगे किया था, लेकिन फिर किसी कारणवश रांची ने आयोजन करने से मना कर दिया, जिसके बाद भुवेश्वर को इन खेलों की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी और काफी कम समय में ओड़िसा सरकार ने आयोजन की सभी तैयारियां की.
20 मार्च को भुवनेश्वर को इन खेलों के आयोजन की जानकारी दी गयी और उस समय कलिंगा स्टेडियम की हालत बिलकुल भी ठीक नहीं थी, लेकिन केवल 90 दिनों में ओड़िसा की सरकार की मदद के कारण स्टेडियम का रूप रंग ही बदल दिया गया और स्टेडियम को आने वाले खेलों के लिए इस तरह से तैयार किया गया, कि खिलाड़ियों को किसी भी तरह की शिकायत का मौका न मिले. भारतीय खेल मंत्री भी हुए रोहित शर्मा के मुरीद, ट्वीट कर जाहिर अपनी एक बड़ी इच्छा
ओड़िसा के मुख्य मंत्री नवीन पटनायक ने ओड़िसा के खेल मंत्री चन्द्र सारथि बहरा के साथ मिलकर लगातार काम का जायज़ा लिया और स्टेडियम को तैयार करने के लिए अहम योगदान निभाया. जब भुवनेश्वर को इन खेलों के आयोजन के लिए कहा गया, उस समय स्टेडियम टुटा हुआ था और सब कुछ शुरू से करने की चुनौती थी, लेकिन वहां के कर्मचारियों ने दिन रात मेहनत कर इस नामुमकिन दिखने वाले कार्य को कर दिखाया और इस समय भुवनेश्वर खेलों के पूरी तरह से तैयार है.
22वां एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप अब तक का सबसे बड़ा चैंपियनशिप होगा, क्योंकि इसमें 45 देशों के एक हज़ार से भी ज्यादा एथलीट्स हिस्सा ले रहे है.
21 जून को दिल्ली के द ललित होटल में इन खेलों की औपचारिक तौर पर शुरुआत कर दी गयी और इसके लिए सभी अधिकारी मौजूद थे, उनके साथ साथ भारत की तीन महिला दिग्गज एथलीट्स भी इस दौरान वहां मौजूद थी और उन सभी ने अपना-अपना अनुभव सभी के साथ साझा किया. एक शहीद के परिवार ने भारत और पाकिस्तान से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगाई मैच न खेलने की गुहार
भारत की फील्ड और ट्रैक इवेंट की क्वीन कही जाने वाली पी टी उषा ने इस कार्यक्रम के दौरान उम्मीद जताई है, कि इस बार भारतीय खिलाड़ी ज्यादा से ज्यादा मैडल देश के लिए ले कर आयेंगे.
पी टी उषा के साथ-साथ अंजू बॉबी जॉर्ज और शाइनी विल्सन भी मौजूद थी.