अभी हाल ही में विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप से पुरुष सिंगल्स में कांस्य मेडल को अपने नाम कर करके स्वदेश वापस लौटे, बी साई प्रणीत ने मीडिया के सामने खुलकर बातें की, अपने विश्वकप तक के सफर के बारे में कई राज खोले कि कैसे कोई खिलाड़ी मेडल लाता है।
गोल्ड नहीं कांस्य से करना पड़ा संतोष
हालांकि बी सी साई प्रणीत ने इस विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल तो नहीं जीत पाएं, लेकिन वहां से खाली हाथ भी नहीं लौटे। विश्वचैंपियनशिप से वे कांस्य पदक को अपने नाम करके लौटे। प्रणीत ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कोई भी खिलाड़ी यूं ही देश के लिए मेडल नहीं लाता है, बल्कि इसके पीछे तो एक पूरी टीम काम करती है, किसी खिलाड़ी को मेडल तक के स्तर तक पहुंचाने के लिए।
फिटनेस दिलाता है मेडल
साई प्रणीत ने अपनी बार रखते हुए कहा कि किसी भी को उसकी फिटनेस मेडल दिलाती है, कोई भी खिलाड़ी जितना अधिक फिट रहेगा वह उतने ही ज्यादा मेडल लेकर आएंगा। प्रणीत के मुताबिक उनकी फिटनेस उनको आत्मविश्वास देती है व इससे उनका मनोबल बढ़ता है। उन्होंने अपने ऊपर काफी काम किया है। प्रणीत ने कहा,
‘ये बदलाव के बारे में नहीं है। मैं अपनी फिटनेस पर लगातार काम कर रहा था। मुझे पता है कि अगर मैं फिट हूं तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकता हूं। अगर मैं सौ फीसदी फिट हूं, तब मैं गेम में बढ़े हुए मनोबल के साथ उतरता हूं।
प्रणीत ने कहा कि अवॉर्ड मिलने से मिलती है खुशी
प्रणीत ने कहा कि वह इस समय बहुत खुश है। विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने व सरकार द्वारा उन्हें अर्जुन अवॉर्ड के चुने जाने के कारण, वह बहुत खुश है। विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने और अर्जुन अवॉर्ड के लिए चुने जाने की खुशी जाहिर करते हुए प्रणीत ने कहा, ‘अवॉर्ड मिलने को लेकर मैं बहुत खुश हूं। मुझे खुशी है कि इसके साथ ही मैंने कांस्य पदक भी जीत लिया है।
प्रणीत ने कहा, ‘विश्व चैंपियनशिप एक बहुत बड़ा इवेंट है और हर खिलाड़ी उस मंच पर पदक जीतने का सपना देखता है। मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूं और खुश हूं कि मैं इस सफलता को हासिल कर पाया हूं।’