एशियन गेम्स में कबड्डी की शुरुआत 1990 में बीजिंग में हुए एशियन गेम्स से हुई। भारत 1990 खेलों में केवल एक ही स्वर्ण पदक जीत पाया, वह भी केवल कबड्डी में ही आया। एशियन गेम्स 2018 में एक बार फिर उतर रही है भारतीय टीम।
उसके बाद 2018 एशियन गेम्स में भारतीय पुरुष टीम लगातार आठवीं बार उतरने जा रही है। यह भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है कि भारतीय टीम ने हर बार इन खेलों के लिए क्वालीफाई कर एक अलग ही मुक़ाम हासिल किया है।
कोई नहीं तोड़ पायेगा भारतीय टीम का ये रिकॉर्ड
बता दें कि 1990 बीजिंग एशियन गेम्स से लेकर 2014 इन्चिओन एशियन गेम्स तक भारत, हमेशा से स्वर्ण पदक जीतता आया है। कप्तान बदले, खिलाड़ी बदले, साल भी बदले लेकिन नहीं बदला तो पदक का रंग।
हालाँकि 2014 एशियन गेम्स में ईरान के खिलाफ़ भारतीय टीम आख़िरी क्षणों में हार के मुंह से बाहर आई और स्वर्ण पदक जीता। भारत के नाम अभी सात स्वर्ण पदक हैं।
कभी कोई मैच नहीं हारी है भारतीय टीम
भारतीय पुरुष टीम एशियन गेम्स में कभी कोई मैच नहीं हारी है। चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान भी कभी भारतीय टीम को घुटने टेकने पर मजबूर नहीं कर पाया है।
हालाँकि बीते कुछ वर्षों से ईरान ने कई विश्व स्तरीय खिलाडियों को जन्म दिया है। ईरान के अलावा आज तक कोई टीम भारतीय टीम को टक्कर नहीं दे पाई है।
भारतीय महिलाएं भी नहीं कम
एशियन गेम्स में महिला कबड्डी का आगमन 2010 में हुआ। महिलाओं ने भी 2010 और 2014 एशियन गेम्स में भारत को स्वर्ण पदक दिला किसी दूसरे देश को आसपास भी नहीं भटकने दिया है।
बता दें कि भारतीय महिलाओं के नाम भी एशियन गेम्स में कभी कोई मैच न हारने का रिकॉर्ड है। दोनों ही एशियन गेम्स में इस टीम ने स्वर्ण पदक कब्ज़ा जमाया है।