भारतीय टीम का इंग्लैंड दौरा अभी तक औसत भरा रहा है. जहां भारत ने पहले तीन टी-20 मैचों की सीरीज में जीत हासिल की तो वहीं इसके बाद तीन वनडे मैचों की सीरीज इंग्लैंड ने अपने नाम की. हालांकि पहले वनडे मैच में भारत ने शानदार जीत हासिल की थी. मगर इसके बाद बल्लेबाजी से लेकर गेंदबाजी तक कहीं ना कहीं फेल नजर आयी.
6 मैचों में भुवनेश्वर पूरी तरह फिट ना होने की वजह से सिर्फ 3 मैच ही खेल पाए. जबकि बुमराह आयरलैंड में चोटिल होकर सीमित ओवरों की इन दोनों सीरीज से बाहर हो चुके थे.
इस वजह से भुवनेश्वर और बुमराह अहम
भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत पिछले काफी समय से सीमित ओवरों में भारतीय टीम के एक अहम गेंदबाज रहे हैं. बुमराह की जहां सटीक योर्कर विपक्षी बल्लेबाजों पर भरी पड़ती है तो वहीं भुवनेश्वर की स्विंग के अलावा अनुशासित गेंदबाजी बल्लेबाजों को बांधे रखने में कामयाब रहती है.
बुमराह और भुवनेश्वर की जगह उमेश यादव और सिद्धार्थ कौल प्रभावी साबित नही हुए. अंतिम 10 ओवरों में सबसे ज्यादा रन गए. जोकि बुमराह और भुवनेश्वर की गेंदबाजी में कम दिखाई देता है. इन दोनों गेंदबाजों के आने से पहले भारत की अंतिम ओवरों में सर्वाधिक रन देने की एक बड़ी समस्या रही है. जिस पर इन दोनों ही गेंदबाजों ने लगाम लगाने का काम किया है.
जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार की गेंदबाजी की अगर हम वनडे मैच में इकॉनमी देखे तो वह बेहतर है. भुवनेश्वर की इकॉनमी 5.01 रही है. जबकि बुमराह ने सिर्फ 4.65 की इकॉनमी से रन दिए हैं.
बुमराह मौजूदा समय में एक दिवसीय क्रिकेट में दुनिया के नंबर एक गेंदबाज हैं. जोकि एक बहुत बड़ी बात है. जबकि स्विंग गेंदबाजी से अपने करियर की शुरुआत करने वाले भुवनेश्वर ने अपनी गेंदबाजी में अब योर्कर और तेज रफ़्तार को भी शामिल किया है.
इसी वजह से भुवनेश्वर और बुमराह मौजूदा समय में भारतीय टीम के एक महत्वपूर्ण गेंदबाज हैं. जिनकी अनुपस्थिति में भारत की गेंदबाजी सीमित ओवरों में कमजोर नजर आती है.