अंडर-19 क्रिकेट ख़त्म हो चूका है जिसमें भारतीय खिलाड़ियों ने एक से बढ़कर एक अर्थात हर खिलाड़ी ने बहुत जबरदस्त प्रदर्शन किया है और भारत फाइनल तक पहुंचा तथा फाइनल जीतने में सफल हुआ, इसी के साथ भारतीय अंडर-19 टी सबसे ज्यादा खिताब जीतने वाली पहली टीम बन गयी है, जिन्होंने अब तक चार खिताब जीते हैं। इस टूर्नामेंट में राजस्थान के बाड़मेर के रहने वाले कमलेश नागरकोटी भी एक जिन्होंने जबरदस्त खेल दिखाया हैं।
इसी बीच भारतीय अंडर-19 टीम की फाइनल में शानदार जीत के कारण उत्तराखंड में भी लोग खुशी से झूम उठे और मुख्यतः कुमाऊ के लोग क्योंकि कहा जाता है कि कमलेश नागरकोटी ने अपना बचपन कुमाऊ, बागेश्वर में बिताया था। दरअसल बता दें कि कमलेश नागरकोटी जिन्होंने इस विश्व कप में बहुत जबरदस्त प्रदर्शन किया और अपनी गति से सभी को हैरान किया है। ख़बरों के अनुसार कमलेश को यहाँ लोग बिट्टू के नाम से पुकारते है।
कमलेश नागरकोटी के इस शानदार प्रदर्शन के चलते उनके पूरे परिवार वाले खुशी से झूम उठे है और सभी के खुशी के आंसू आ गए है। बता दें कि इनकी माता का नाम कमला है जबकि पिता लक्ष्मण नागरकोटी है और दादी रमूली देवी है.
उन्हें अपने पोते पर बहुत गर्व है कि उनके पोते ने अपने देश के लिए इतना अच्छा क्रिकेट खेला और अपने गाँव का नाम रोशन किया हैं। इस प्रकार इनके गाँव बागेश्वर में खुशी की धूम ही धूम फैली हुई है।
गौरतलब हो कि कमलेश बचपन में यहीं उत्तराखंड की उबड़ खाबड़ पहाड़ियों में क्रिकेट खेला करते थे और बचपन में कपड़े की गेंद से क्रिकेट खेला था। इसके अलावा आपको बता दें कि जब ये कभी क्रिकेट के चक्कर में लेट हो जाते थे तो इन्हें अपने परिवार वालों से डांट भी सुननी पड़ती थी।
कैसे गए बागेश्वर से बाड़मेर
कमलेश नागरकोटी जो उत्तराखंड के होने के बावजूद भी वो राजस्थान के लिए क्रिकेट खेलते है क्योंकि बीसीसीआई ने उत्तराखंड को मान्यता नहीं दी है इस करण ये राजस्थान के लिए खेलते हैं। इस प्रकार इन्होंने राजस्थान की तरफ से ही अंडर-19 में अपनी जगह बनाई। इस प्रकार कमलेश नागरकोटी के हर मैच उनके पूरे परिवार ने टीवी पर देखे है और उनकी दादी का कहना है कि “मेरा पोता अब पूरी दुनिया में खूब नाम कमाएगा।”
इंडियन प्रीमियर लीग में इन्हें करोड़ो में कोलकाता नाईटराइडर्स ने अपनी टीम में शामिल किया हैं। इया प्रकार ये अब आईपीएल में भी खूब जलवा दिखायेंगे। हालांकि आपको बता दें कि इनके गाँव भरसीला और जिले बागेश्वर में खुशी फैली हुई है लेकिन उत्तराखंड सरकार ने इन्हें कोई इनामी राशि का ऐलान नहीं किया है। हालाँकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन्हें एवं आर्यन जुयाल को सिर्फ बधाई जरूर दी है।