Ranji Trophy : रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) इतिहास में कई ऐसे पल दर्ज हैं जब किसी खिलाड़ी ने उम्मीदों से परे प्रदर्शन कर खेल की दिशा ही बदल दी। रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के एक सीज़न के फाइनल मुकाबले में ऐसा ही एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला। यह मैच इंदौर में होल्कर और गुजरात के बीच खेला गया था।
उस दौर में होल्कर को सबसे मजबूत टीमों में गिना जाता था और लगभग सभी को यकीन था कि वही खिताब जीतेगी। लेकिन इस मुकाबले में गुजरात के एक गेंदबाज ने 10वें नंबर पर बल्लेबाज़ी करके सबको चौका दिया और 120 गेंदों पर 152 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली और ऐसा कारनामा कर दिखाया कि आज भी उनकी पारी को क्रिकेट इतिहास में याद किया जाता है।
10वें नंबर पर बल्लेबाज़ ने खेली 152 रनों की शानदार पारी
यह बात हैं साल रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) 1950-51 सीज़न की , जिसमे रणजी ट्रॉफी का फाइनल होल्कर और गुजरात के बीच खेला गया। गुजरात की दूसरी पारी की शुरुआत निराशाजनक रही। शीर्ष क्रम जल्दी-जल्दी आउट होता चला गया और टीम एक बार फिर भारी दबाव में आ गई। ऐसे में 10वें नंबर पर जसुभाई पटेल मैदान पर उतरे। सामान्य तौर पर इस क्रम के बल्लेबाज से उम्मीद की जाती है कि वह कुछ ओवर टिक जाए, लेकिन पटेल ने उस दिन क्रिकेट इतिहास की एक अविस्मरणीय पारी खेल दी। उन्होंने सिर्फ 120 गेंदों पर 152 रनों की धमाकेदार पारी खेली।
उनकी बल्लेबाजी में न सिर्फ तकनीक थी बल्कि जज़्बा और आत्मविश्वास भी झलक रहा था। उन्होंने मैदान के हर कोने में चौके लगाए और पूरी होल्कर टीम को हैरान कर दिया। इस पारी में उन्होंने 22 चौके जड़े। उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था कि 10वें नंबर पर आने वाला गेंदबाज इतनी शानदार पारी खेल जाएगा।

गेंदबाज होकर भी बल्लेबाजी में बेमिसाल प्रदर्शन
जसुभाई पटेल मूल रूप से एक ऑफ स्पिन गेंदबाज थे। उनके नाम उस समय कई शानदार गेंदबाजी प्रदर्शन दर्ज थे, लेकिन इस मैच में उन्होंने बल्ले से जो दिखाया वह किसी शीर्ष क्रम के बल्लेबाज से कम नहीं था। जब टीम को स्थिरता की सबसे अधिक ज़रूरत थी, उन्होंने एक छोर थामकर न सिर्फ स्कोर आगे बढ़ाया बल्कि आत्मविश्वास भी जगाया।
इस पारी ने यह साबित किया कि क्रिकेट में प्रतिभा को कभी भी सिर्फ एक भूमिका में नहीं बांधा जा सकता। गेंदबाज होकर भी पटेल ने एक सच्चे बल्लेबाज की तरह जिम्मेदारी निभाई। उस दौर में जब बल्लेबाजी का अंदाज बेहद सीमित और रक्षात्मक होता था, उनकी यह पारी एक मिसाल बन गई। 10वें नंबर पर खेलते हुए इतनी बड़ी पारी खेलना आज भी दुर्लभ माना जाता है।
Ranji Trophy : फाइनल मुकाबले का रोमांच
इंदौर में खेले गए इस रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) फाइनल की शुरुआत से ही होल्कर टीम ने दबदबा बना लिया था। कप्तान सीके नायडू, मुश्ताक अली और खांडू रंगनेकर जैसे दिग्गज खिलाड़ियों की मौजूदगी में उन्होंने पहली पारी में 429 और दूसरी में 443 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। गुजरात की टीम पहली पारी में 327 रन पर सिमट गई थी।
दूसरी पारी में गुजरात के सामने 546 रनों का असंभव सा लक्ष्य था। टीम की हालत फिर से खराब रही, लेकिन जसुभाई पटेल ने उम्मीदों की आखिरी किरण जगाई। उनकी 152 रनों की पारी ने न केवल रन जोड़े बल्कि फाइनल में टीम को मैच में मज़बूत स्थिति में रखा।
होल्कर की जीत, लेकिन पटेल की पारी अमर
अंत में होल्कर ने यह रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) फाइनल 189 रनों से जीत लिया। परंतु इस मैच को आज भी जसुभाई पटेल की अद्भुत पारी के लिए याद करते हैं। जब पूरा शीर्ष क्रम लड़खड़ा गया था, तब उन्होंने निचले क्रम से आकर टीम को सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचाया। उनकी यह पारी रणजी ट्रॉफी के इतिहास की सबसे शानदार निचले क्रम की पारियों में से एक मानी जाती है।
पटेल की यह पारी सिर्फ रन बनाने की कहानी नहीं थी, बल्कि साहस, आत्मविश्वास और क्रिकेट के जज़्बे की मिसाल थी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि खेल में कोई भी खिलाड़ी छोटा नहीं होता और अगर जज़्बा हो तो 10वां नंबर भी इतिहास रच सकता है।