Team India : विश्व टेस्ट चैंपियनशिप यानी WTC का फाइनल हर क्रिकेट खेलने वाली देश की प्रतिष्ठा का मामला बन चुका है। इंडिया ने पिछले दो संस्करणों में फाइनल तक पहुंच जरूर बनाई, लेकिन खिताब जीतने से चूक गया। अब जब चौथा चक्र चल रहा है, तो एक बार फिर इंडिया के लिए हालात जटिल होते जा रहे हैं।
5 मैचों की इंग्लैंड सीरीज में 1-2 से पिछड़ने के बाद इंडिया के लिए WTC के फाइनल में पहुंचना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है। इसके पीछे तीन मुख्य कारण साफ तौर पर उभरकर सामने आ रहे हैं — कौन से है वो कारण आइए विस्तार से समझते है।
पहला कारण : गौतम गंभीर की रणनीतिक विफलता
दरअसल, गौतम गंभीर का टेस्ट क्रिकेट में कोचिंग अनुभव सीमित है, और वह मैदान पर साफ दिख रहा है। बता दे टेस्ट क्रिकेट सिर्फ तकनीक ही नहीं, रणनीति और धैर्य की भी परीक्षा है। लेकिन गंभीर की कोचिंग में टीम चयन में बार-बार बदलाव, फॉर्म से जूझ रहे खिलाड़ियों को जबरदस्ती प्लेइंग XI में बनाए रखना और हालात के अनुसार योजना न बना पाना, भारत की हार की प्रमुख वजह बन रहे हैं।
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साथ ही बता दे लॉर्ड्स टेस्ट में करुण नायर को लगातार मौका देना, यशस्वी जायसवाल की तकनीकी खामियों को नजरअंदाज करना, और इंग्लैंड की उछाल भरी पिचों पर स्पिनर्स को तवज्जो देना — ये सभी फैसले टीम की रणनीतिक नाकामी को उजागर करते हैं। वहीं गंभीर परिस्थितियों में कोच से संयम और समझदारी की उम्मीद की जाती है, लेकिन उनके फैसले अकसर घबराहट और असमंजस में लिए गए लगते हैं।
दूसरा कारण : खिलाड़ियों की चोट
बता दे इस WTC साइकिल में इंडिया के लिए सबसे बड़ी बाधा लगातार खिलाड़ियों का चोटिल होना है। इसमें ऋषभ पंत की गैरमौजूदगी सेअक्षर पटेल और अर्शदीप सिंह जैसे प्रमुख गेंदबाजों की फिटनेस समस्याएं टीम की ताकत को लगातार कम कर रही हैं। यही नहीं, शुभमन गिल और रवींद्र जडेजा जैसे प्रमुख खिलाड़ी भी शत-प्रतिशत फिट नजर नहीं आए हैं। भारतीय टीम की स्ट्रेंथ का आधार उसके अनुभवी खिलाड़ी होते हैं और ऐसे में अगर वे ही बार-बार चोटिल होते रहेंगे, तो न तो स्थिरता बन पाएगी और न ही बड़े मुकाबलों में जीत की उम्मीद की जा सकती है।
तीसरा कारण : सही खिलाड़ी नहीं मिलना और तैयार न करना
वहीं जब कोई खिलाड़ी चोटिल होता है, तो उसकी जगह सटीक विकल्प तैयार रखना कोचिंग स्टाफ और चयनकर्ताओं की जिम्मेदारी होती है। लेकिन इंडिया इस मोर्चे पर लगातार फिसल रहा है। बता दे ऋषभ पंत की जगह ध्रुव जुरेल जैसे प्रतिभाशाली विकल्प को पहले से तैयार नहीं किया गया, जिससे कीपिंग और मिडिल ऑर्डर दोनों कमजोर नजर आए।
फिर इसी तरह, अर्शदीप और आकाशदीप के चोटिल होने के बावजूद तेज गेंदबाजी यूनिट में अनुभवी विकल्प नहीं जोड़े गए। लिहाज़ा नतीजा यह हुआ कि इंग्लैंड जैसे आक्रामक बल्लेबाजों को रोके रखने वाला कोई मजबूत अटैक नहीं बन पाया। और तो और, बल्लेबाजी में भी करुण नायर या पृथ्वी शॉ जैसे पुराने विकल्पों को बार-बार चुनकर युवा प्रतिभाओं को नज़रअंदाज़ किया गया।
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